इंटरलॉकिंग घोटाला: पार्ट एक-पोल खुलने के बाद भी जारी है काम
बुलंदशहर : सड़क के दोनों ओर की जा रही इंटरलॉकिंग में लाखों का घपला उजागर होने के दो दिन बार काम फिर चालू हो गया है। सीमेंट की टायल्स के नाम पर 'माटी' लगाई जा रही थी, जो जरा-सी ठोकर पर टुकड़े-टुकड़े हो रहे थे, उसकी जगह नये टाइल्स आए हैं या नहीं यह पालिका को यह भी पता नहीं है। इसके बावजूद काम चल रहा है।
नगरपालिका शहर में करीब दो करोड़ रुपये की लागत से इंटरलॉकिंग करा रही है। पिछले एक-डेढ़ महीने से ताबड़तोड़ काम चल रहा है। इसी बहाने लाखों के वारे-न्यारे हो रहे थे। खुली लूट मची है। चुनाव में अधिकारी व्यस्त थे और अंदरखाने सफेद-स्याह होता रहा। गुरुवार को मीडिया के सामने इसका पर्दाफाश हुआ। ईओ नगरपालिका एके गुप्त ने राजेबाबू पार्क के सामने बिछाई जा रही इंटरलॉकिंग टायल्स की जांच की। सीमेंट की जरा-सी चोट पर मिट्टी की तरह टूटकर बिखर रही थीं। टायल्स के नीचे जगह-जगह बेस खुदवाकर देखा गया तो उसमें मिट्टी और एनटीपीसी की राख निकली। कायदे से रेत और सीमेंट डाली जानी चाहिए थे। बेस में 8 सेंटीमीटर तक स्टोन ब्लास्ट (पत्थर) पड़ने चाहिए थे, जो जहां-तहां गिनती के ही पड़े थे।
शुक्रवार को काम थमा रहा, लेकिन शनिवार को काम फिर शुरू हो गया। हालांकि ठेकेदार ने बालू की नई खेप गिरवाई है। लेकिन टाइल्स पुराने ही लगाए जा रहे हैं या नई लाई गई है? पालिका को जानकारी नहीं है। शनिवार को ठेकेदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज होने को बावजूद काम चलता रहा।
क्या कहते हैं पालिका ईओ
पालिका ईओ एके गुप्त ने बताया कि इंटरलाकिंग टाइल्स बदली गई है या नहीं? यह जानकारी नहीं है। यह भी पता नहीं है कि रेत और स्टोन सही लगाया जा रहा है या नहीं। रविवार को इसकी जांच होगी। अगर कार्य मानक के अनुकूल नहीं पाया गया तो कार्य रुकवा दिया जाएगा।
दर्ज हुआ मुकदमा
बुलंदशहर : पालिका ईओ एक गुप्त ने गुणवत्ता व मानक के अनुरूप कार्य न करने, सरकारी धन के गबन, एवं राजकीय संपत्ति को क्षति पहुंचाने का मामला मानते हुए कोतवाली में गुरुवार को तहरीर दी थी। शनिवार को मुनेश्वर सिंह ठेकेदार के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया।
आखिर गलती किसकी है? बुलंदशहर: पालिका के एई और जेई का काम है कि साइट पर जाकर निर्माण कार्य की प्रत्येक दिन निगरानी करे? ठेकेदार का काम मेटेरियल लाना और कार्य करना है, निगरानी की पूरी जिम्मेदारी निर्माण एजेंसी की है। पालिका ईओ को गुरुवार को आए और जांच की तो पता चला कि सीमेंट की टाइल्स माटी-सी टूट रही है। सवाल यह है कि जब ऐसी टाइल्स का प्रयोग पहले से हो रहा था तो एई और जेई ने रिपोर्ट क्यों नहीं दी? वह क्या देखते रहे? इतना नहीं नहीं, पालिका का कार्य पालिका दफ्तर और वरिष्ठ अधिकारियों के आवास के आसपास हो रही थी। वे हर दिन उन रास्ते से गुजरते रहे होंगे। क्या उन्हें नहीं दिखा कि टाइल्स घटिया है या रेत और सीमेंट की जगह मिट्टी और एनटीपीसी का राख बेस में डाला जा रहा है? एक ठेकेदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पालिका में 29-30 प्रतिशत तक कमीशन जाता है। टैक्स को जोड़ लिया जाए तो 35 फीसदी तक के वारे-न्यारे होते हैं। ऐसे में ठेकेदार कहां से पूरा काम कर पाएंगे?