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क्या, क्यों और कैसे की नहीं मिलेगी सूचना

बिजनौर : राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने कहा कि जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सूचना मांगते

By Edited By: Published: Thu, 27 Oct 2016 10:44 PM (IST)Updated: Thu, 27 Oct 2016 10:44 PM (IST)
क्या, क्यों और कैसे की नहीं मिलेगी सूचना

बिजनौर : राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने कहा कि जन सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत सूचना मांगते समय क्या, क्यों और कैसे का प्रयोग नहीं करें। इन प्रश्नों का जवाब देने की बाध्यता नहीं है। साथ ही सूचना मांगने के पत्र में 500 शब्दों से ज्यादा न लिखें। उन्होंने सूचना अधिकार कानून का दुरुपयोग करने वालों पर कार्रवाई की भी चेतावनी दी।

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गुरुवार को राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने आरटीआई के मामलों की कलक्ट्रेट में सुनवाई की। सुनवाई के बाद पत्रकारों से वार्ता करते हुए सूचना आयुक्त ने बताया कि अपीलीय अधिकारियों को मामलों की सुनवाई जिम्मेदारी से करने के निर्देश दिए गए हैं। यदि अपीलीय अधिकारी अपनी जिम्मेदारी सही से निभाएं तो आयोग से बोझ हटेगा और पीड़ित को स्थानीय स्तर पर ही न्याय मिल सकेगा। उन्होंने कुछ जनपदों के उदाहरण देते हुए बताया कि आरटीआई का दुरुपयोग करने वालों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई है और आगे भी कराई जाएगी। उन्होंने कहा कि सूचना अधिकार केवल पत्रों का आदान प्रदान नहीं, बल्कि आमजन का काम होना चाहिए। पत्रकार वार्ता में डीएम जगतराज, एडीएम प्रशासन राममूर्ति मिश्रा, एडीएम वित्त सुरेंद्र राम आदि अधिकारी मौजूद रहे।

-रामपुर के दो अफसरों पर लगाया जुर्माना

सूचना नहीं देने पर राज्य सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने रामपुर के सिटी मजिस्ट्रेट व डीआईओएस पर 25-25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। डीएम कोर्ट में सूचना आयुक्त ने 43 मामलों की सुनवाई की जिनमें से 26 का निस्तारण कर दिया गया। चार अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है जबकि 17 ने सूचना देने के लिए समय मांगा है।

-जुर्माना वसूली की होगी समीक्षा

राज्य सूचना आयुक्त ने बताया कि सूचना नहीं देने पर 25 हजार का जुर्माना लगाया जाता है। संबंधित अधिकारी से व्यक्तिगत रूप से जुर्माना वसूली की जिम्मेदारी जिलाधिकारी की होती है। इसे राजकोष में जमा कराया जाता है। इसके अलावा वादी को क्षतिपूर्ति दिलाई जाती है। इसे भी संबंधित अधिकारी से व्यक्तिगत रूप से वसूला जाता है। उन्होंने बताया कि जुर्माना वसूली की समीक्षा के लिए प्रदेश स्तर पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है।


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