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समाज से होता है देश का निर्माण

बिजनौर : जीवन आदर्श व यथार्थ का समन्वय है। मानव से समाज बनता है और समाज से देश का निर्माण होता है। अ

By Edited By: Published: Tue, 27 Sep 2016 10:11 PM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2016 10:11 PM (IST)
समाज से होता है देश का निर्माण

बिजनौर : जीवन आदर्श व यथार्थ का समन्वय है। मानव से समाज बनता है और समाज से देश का निर्माण होता है। अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निर्वाह करते हुए एक आदर्श जीवन ही सबसे बड़े देशभक्ति का प्रतीक है। जीवन एक सतत संघर्ष है। विभिन्न प्रकार के संघर्षों से पार पाकर जीवन को परिपूर्ण करना ही महान व्यक्तित्व की पहचान है।

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मनुष्य के जीवन में एक निश्चित लक्ष्य होना चाहिए। जीवन एक ऐसी परिकल्पना है जो चुनौतियों से परिपूर्ण अनमोल सरल, सरस व अलौकिक अनुभूति से परिपूर्ण है। इसको समझना आसान नहीं अपितु बहुत मुश्किल है। मैंने अपना जीवन शिक्षा को समर्पित कर दिया है जो मेरा स्वप्न व लक्ष्य है। मैं एक शिक्षक के रूप में सुंदर सजग व शिक्षित समाज का निर्माण करने में अपना कुछ अंश देश को अर्पित कर सकूं। मैं एक शिक्षक के रूप में अपने विद्यार्थियों को वह सब कुछ दे सकूं, जो मैंने अपने जीवन में समाज, परिवार व गुरुजनों के द्वारा शिक्षा व अनुभवों से अर्जित किया है। मैं अपने परिवार, समाज व राष्ट्र के प्रति अपने जिम्मेदारियों को ईमानदारी से निर्वाह कर रहा हूं। इन सब जिम्मेदारियों के बीच एक शिक्षक के रूप में कार्य करना, रोमांच-अलौकिक संतोष व संतुष्टि प्रदान करता है। एक शिक्षक की जिम्मेदारियां सबसे बड़ी होती हैं, क्योंकि वह ही राष्ट्र के निर्माण व अपनी अहम भूमिका का निर्वाह करता है। शिक्षक की प्रकाशमय ज्योति की लौ से ही किसी देश की अज्ञानता को दूर कर एक शिक्षित समाज का निर्माण किया जाता है। एक शिक्षक का जीवन विभिन्न प्रकार की चुनौतियों से भरा होता है। गुरु ऐसा चाहिए जो शिष्य को दे और शिष्य ऐसा चाहिए जो गुरु से सर्वोच्च ले।

-राहुल डबास, स्पोटर््स एवं एक्टिविटी को-आर्डीनेटर, एएन इंटरनेशनल स्कूल, बिजनौर।

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राह संघर्ष की जो चलता है। वह ही संसार को बदलता है, जिसने रातों से जंग जीती है। सूर्य बनकर वही निकलता है।

मनुष्य का जीवन संघर्षों से भरा हुआ है। जीवन भर वह संघर्ष करता है, कभी पैसों की खातिर तो कभी परिवार और रोटी की खातिर । मेरा मानना है कि मनुष्य को कभी भी कठिनाइयों के समक्ष हार नहीं माननी चाहिए। मैंने अपने जीवन में उन्हीं महापुरुर्षों के जीवन से प्रेरणा ली है, जिन्होंने देश और अपने कर्तव्यों की खातिर अपने जीवन को अधिक संघर्षों से घिरा हुआ पाया, लेकिन संकटों की परवाह किए बिना वे अपने कर्तव्य मार्ग से नहीं हटे और जीवनभर उनका पालन करते रहे और अपने चरित्र को उज्ज्वल बनाए रखा। कहा जाता है कि समाज एक दर्पण है जिसमें व्यक्ति के विचारों एवं कार्यों की छवि देखने को मिलती है। एक सफल एवं शुद्ध समाज का निर्माण मनुष्य के चरित्र पर निर्भर करता है। राणा प्रताप के चरित्र को कौन नहीं जानता, जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए अनेक कष्ट सहे। राजा दशरथ ने अपने वचनों के पालन के लिए अपने प्राण त्याग दिए। अपने पिता के वचनों का पालन करने के लिए श्रीराम ने अपनी मर्यादा को किसी भी परिस्थिति में न ही छोड़ा। श्रीराम के मर्यादित जीवन से प्रेरणा लेकर मैं अपने जीवन में सत्य, अ¨हसा और चरित्र को जीवनभर अक्षुण्ण बनाए रखना चाहूंगी। कहा जाता है कि

पांच तत्व हैं मानव कल्याणकारी। पांच परमेश्वर हैं विश्व कल्याणकारी।

पांच शाश्वत सत्य डर से लेकर, जो चलता है वही चरित्र है भारी।

लेकिन आज चकाचौंध वाली दुनिया में मनुष्य स्वार्थी होता जा रहा है। वह केवल अपने भौतिक सुखों के बारे में ही सोचता है।

-नीता राजपूत, शिक्षिका, एएन इंटरनेशनल स्कूल, बिजनौर।

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जीवन ईश्वर के द्वारा बनाई गई एक अनमोल अलौकिक रचना है जो विभिन्न प्रकार के संघर्षों से परिपूर्ण है। जीवन चुनौतीपूर्ण है जिसको हमें सहनशीलता, अनुभव, शिक्षा, मेहनत व ईमानदारी से निर्वाह करना चाहिए। हमें जीवन की उपयोगिता को समझते हुए अपनी सभी जिम्मेदारियों को उच्च आदर्शों व संस्कारों द्वारा क्रियान्वित करना चाहिए। मनुष्य का महत्वाकांक्षी होना एक स्वाभाविक गुण है। प्रत्येक व्यक्ति जीवन में कुछ न कुछ विशेष करना चाहता है। कोई डाक्टर, इंजीनियर या व्यापारी बनने के साथ-साथ कुछ समाज सेवा करना चाहते हैं या कुछ ईश्वर की भक्ति में लीन हो जाते हैं। सभी व्यक्तियों की इच्छाएं व आकांक्षाएं अलग-अलग होती हैं। मैंने इन सबके बीच अपना जीवन शिक्षा के लिए समर्पित कर दिया है, जो कि मेरा सपना है। मेरे द्वारा मेरे परिवार, गुरुजनों द्वारा दिए गए संस्कारों, शिक्षा व उच्च आदर्शों को मैं अपने विद्यार्थियों में ज्ञान के सागर की तरह भरकर देश की सेवा करना चाहता हूं। मेरे जीवन का एक ही लक्ष्य है कि अपने ज्ञान रूपी दीप से बच्चों के भविष्य को संवारूं। एक शिक्षित राष्ट्र के निर्माण में एक शिक्षक की अहम भूमिका होती है।

तुमने दिया देश को जीवन देश तुम्हें क्या देगा, अपनी आग तेज रखने को नाम तुम्हारा लेगा।

मेराज अहमद, शिक्षक, एएन इंटरनेशनल स्कूल बिजनौर।

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दायित्व हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है। यदि हम अपने दायित्वों का निर्वाह पूर्ण ईमानदारी से करते हैं तो हमें खुशी तथा संतुष्टि की अनुभूति होती है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का कोई उद्देश्य अवश्य होना चाहिए। बिना उद्देश्य तथा लक्ष्य का जीवन परिस्थितियों के हाथों की कठपुतली के समान हो जाता है और उसे जीवन बोझ के समान लगने लगता है, इसलिए जीवन का एक निर्धारित लक्ष्य अवश्य होना चाहिए और जीवन में अपने सभी दायित्वों का निर्वाह करना ही सर्वोच्च है। हमारे दायित्व केवल सभी निजी कार्यों तथा अपने परिवार और अपने शिक्षकों पर आकर समाप्त नहीं होते। एक विद्यार्थी और एक जिम्मेदार नागरिक होने के कारण देश के प्रति भी मेरे और हम सभी के कुछ दायित्व हैं, जिनका हमें निर्वाह करना चाहिए।

-ऋचा एडवाल, कक्षा 12वी, एएन इंटरनेशनल स्कूल।

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ये प्रत्येक भारतीय नागरिक का जन्मसिद्ध अधिकार है कि वो देश के प्रति, समाज के प्रति और परिवार के प्रति अपने दायित्वों को समझें और उनका निर्वाह अपनी दैनिक दिनचर्या में करें। प्रत्येक नागरिक को देश के अच्छे नागरिक होने के साथ-साथ वफादार भी होना चाहिए। हम सभी को नियमों, अधिनियमों और सरकार द्वारा बनाए गए कानून का पालन करना चाहिए। हमें आम नागरिक बनना चाहिए। किसी के भी अपराध के प्रति सहानुभूति नहीं दिखानी चाहिए। इसके खिलाफ आवाज भी उठानी चाहिए।

-विधि कुमारी, कक्षा 12 बी, एएन इंटरनेशनल स्कूल।

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मेरे जीवन का परम दायित्व है दूसरों को आनंद प्रदान करना तथा अपने हृदय सागर के अनमोल से अनमोल रत्न को दूसरों के हित के लिए लुटा देना। इसी बात को ध्यान में रखते हुए मैंने अपने जीवन का दायित्व निर्धारित किया है कि मैं बड़ी होकर एक आदर्श अध्यापिका बनूं तथा समाज व देश का हित करूं। शिक्षक होना सचमुच बहुत बड़ी बात हुआ करती है। वह अपने सुसाधित सद्शिक्षा के प्रकाश से अज्ञान के अंधेरे को दूर कर आदमी को ज्ञान का प्रकाश प्रदान करता है। अध्यापिका का कार्य एक पवित्र कार्य है। मेरा विश्वास है कि विद्या धन नही सर्वोत्तम धन है और विद्या दान ही सबसे बड़ा दान है। मेरा उद्देश्य तभी सफल होगा जब मैं अपने कार्य में सफल होऊंगी। मुझे अति प्रसन्नता तो तब होगी, जब मेरे पढ़ाए हुए विद्यार्थी कुशल डाक्टर, सफल इंजीनियर, उच्चाधिकारी और देश के आदर्श नेता बन पाएंगे।

-जाहनवी ¨सह, कक्षा 12, एएन इंटरनेशनल स्कूल।


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