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जो दिल को दहला जाते हैं, ऐसे मंजर देख रहा हूं

नजीबाबाद : अभिव्यक्ति साहित्यिक संस्था के तत्वावधान में हुई काव्य संध्या में कवियों ने एक से बढ़कर र

By Edited By: Published: Wed, 04 Mar 2015 10:50 PM (IST)Updated: Wed, 04 Mar 2015 10:50 PM (IST)
जो दिल को दहला जाते हैं, ऐसे मंजर देख रहा हूं

नजीबाबाद : अभिव्यक्ति साहित्यिक संस्था के तत्वावधान में हुई काव्य संध्या में कवियों ने एक से बढ़कर रचनाएं प्रस्तुत कर समां बांध दिया।

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सतेंद्र गुप्ता के आवास पर मंगलवार की रात्रि हुई काव्य संध्या का शुभारंभ मंजू मधुर ने सरस्वती वंदना से किया। काव्य संध्या में अजय जौहरी ने जो दिल को दहला जाते हैं, ऐसे मंजर देख रहा हूं, सीने पर जो रखे हुए हैं, सारे खंजर देख रहा हूं, रचना प्रस्तुत की। अंजलि मिश्रा ने कहा कि जिंदगी में कभी उदास नहीं होते, जिंदगी में कभी निराश नहीं होते। बेगराज यादव ने केमिकल ही केमिकल है इन सब रंगों में, रंगों में अब वो केसू के फूल नहीं मिलते रचना प्रस्तुत कर समां बांध दिया। काव्य संध्या में राकेश मोहन माहेश्वरी एवं डा.केसी मठपाल ने सतेंद्र गुप्ता के नए काव्य संकलन और कितनी दूर का विमोचन किया। संचालन प्रदीप डेजी ने किया। काव्य संध्या में दृष्टि माहेश्वरी, माधव डेजी, नीरज सिंघल, जितेंद्र कक्कड़, बलवीर सिंह वीर, राजेश मिश्रा राजू, मनोज त्यागी, निशा अग्रवाल, प्रेमलता वैश्य, अशोक स्नेही, राजेंद्र त्यागी, प्रमोद शर्मा, कैलाश चंद सिंघल, अवनीश अग्रवाल, बालकिशन सिंघल, नरेश अग्रवाल एवं इंदू गुप्ता समेत आदि लोग मौजूद थे।


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