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खुद प्यासी है मोरवा व वरूणा

By Edited By: Published: Mon, 24 Sep 2012 08:04 PM (IST)Updated: Mon, 24 Sep 2012 08:05 PM (IST)
खुद प्यासी है मोरवा व वरूणा

भदोही : प्रशासन की उदासीनता के कारण जलसंरक्षण की शासन की मंशा परवान नहीं चढ़ रही। करोड़ों रुपये खर्च कर तालाबों की खोदाई तो कराई जा रही है लेकिन वरूणा व मोरवा जैसी नदियों के प्रति प्रशासन गंभीर नहीं हो रहा।

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बारिश के पानी को संरक्षित करने के लिए मनरेगा से तहत देश भर में तालाब खोदवाये जा रहे हैं। नदियों के किनारे मेड़ बंदी कराकर खेतों का पानी संरक्षित करने की कवायद भी पिछले दिनों की गई। इन सबके बावजूद जनपद की हृदयस्थली से गुजरने वाली मोरवा, वरूणा नदियों की सुधि नहीं ली गई। एक दशक से अवर्षा की स्थित के चलते दोनों नदियां अपने अस्तित्व से जूझ रही हैं। बारिश के मौसम में इन नदियों में भले ही थोड़ा बहुत जल संचरण हो जाता हो लेकिन वर्ष शेष महीनों में नदियां खुद प्यासी रहती हैं।

एक दौर में दोनों नदियां पास पड़ोस के गांवों के पशुओं के नहलाने व पानी पिलाने का आधार बनती थीं लेकिन इधर अवर्षा की स्थित के चलते नदियों में पानी नहीं टिक पाता। इससे पशु पक्षियों व जीव जंतुओं को गर्मी के मौसम में पानी के लिए इधर उधर भटकना पड़ता है। साथ ही किसान व पशुपालक भी नदियों के लाभ से वंचित हैं।

कहा जाता है कि वरूणा व मोरवा नदी की सुधि ली गई होती तो जल संरक्षण की दिशा में अहम भूमिका निभा सकती थी।

इस संबंध में चार माह पहले तत्कालीन खंड विकास अधिकारी ने बताया था कि नदियों का सर्वे कराया गया है तथा मनरेगा के तहत जगह-जगह बंधियों का निर्माण कराया जायेगा। हालांकि यह बयान भी हवा हवाई ही साबित हुआ।

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