Move to Jagran APP

..तो इतिहास बन जाएंगी वरुणा व मोरवा

By Edited By: Published: Mon, 28 May 2012 08:45 PM (IST)Updated: Tue, 29 May 2012 12:58 AM (IST)
..तो इतिहास बन जाएंगी वरुणा व मोरवा

भदोही: अवर्षा, अतिक्रमण, गंदगी व प्रशासनिक उपेक्षा का यही हाल रहा तो जनपद के बीच से होकर गुजरने वाली मोरवा व वरुणा इतिहास के पन्नों में सिमटकर रह जाएंगी।

loksabha election banner

मोरवा व वरुणा जैसी नदियां जनपद में पूरी तरह अपनी पहचान खो चुकी हैं। मनरेगा हो या सड़क निर्माण के लिए मिंट्टी की जरूरत लोग इनके किनारे पहुंच जाते हैं। इससे नदियां कई स्थानों पर खेतों का स्वरूप धारण कर चुकी हैं, जहां किसान जोताई कर खेती भी कर रहे हैं। यही कारण है कि बारिश के मौसम में भले ही नदियों में पानी दिख जाए अन्य मौसम में ये नदियां खुद प्यास जाती हैं। -----------------

विष बनता जा रहा पानी

इन नदियों में पानी तो कम ही देखने को मिल रहा है। कहीं दिखता भी है तो कालीन के डाइंग व वाशिंग प्लांटों का विषैला रसायनयुक्त पानी। जो पशुओं के लिए भी पीने लायक नहीं रहता। भूले भटके पशुओं ने यदि प्रदूषित पानी पी भी लिया तो वे पेट की गंभीर बीमारियों के शिकार हो जाते हैं। ---------------------

सिकुड़ रहीं नदियां

अतिक्रमण के कारण नदियों की चौड़ाई भी प्रभावित हुई है। यही कारण है कि कई स्थानों पर तो नदियों की पहचान ही लुप्त हो गई है। मोरवा नदी की चौड़ाई कहीं दो सौ मीटर तो कहीं सात सौ मीटर से भी अधिक थी किन्तु आज यह नाले से भी बदतर हालत में नजर आ रही हैं। कमोवेश यही स्थिति वरुणा की भी है।

---------------

गुम हुए पानी ने बदली कहानी

नदियां भारतीय संस्कृति व सभ्यता की पहचान भी हैं। शादी विवाह, छठ सहित अन्य पूजन-प्रायोजन महिलाएं नदियों पर ही करती रहीं। बदलते परिवेश में नदियों से गुम होते पानी ने समूची कहानी ही बदल डाली है। लोग सूखी नदी के चलते पोखरे व तालाबों से ही काम चला रहे हैं। सूखी मोरवा की अपेक्षा तालाबों में तो कुछ पानी भी मिल जा रहा है।

------------------

मानो तो मै गंगा मां हूं..

गोपीगंज (भदोही): जनपद के दक्षिणी छोर से होकर गुजरी मोक्षदायिनी का स्वरूप भी बिगड़ता जा रहा है। कोनिया में पश्चिम वाहिनी गंगा दो फाड़ में विभक्त होकर अपनी व्यथा सुना रही हैं तो रामपुर, बेरासपुर, सेमराध, बारीपुर समेत अन्य कई गंगा घाटों प्रवाहित की जा रही गंदगी से भी प्रदूषण बढ़ रहा है। पर्यावरण पर कार्य कर रही संस्था नेशनल इको-हेल्थ सोसायटी के सचिव कमलेश शुक्ल की माने तो वाराणसी-इलाहाबाद के मध्य जनपद में भी गंगा को कई तरह से प्रदूषित किया जा रहा है, जिसमें मरे मवेशियों को फेंकने, शव के साथ अन्य सामान गंगा में प्रवाहित करना आदि शामिल है।

मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.