कानपुर के लिए सीधी ट्रेन का अभाव ¨चतनीय
भदोही : लखनऊ के लिए दो इंटरसिटी सहित आधा दर्जन ट्रेनें संचालित हो रही हैं लेकिन औद्योगिक शहर कानपुर
भदोही : लखनऊ के लिए दो इंटरसिटी सहित आधा दर्जन ट्रेनें संचालित हो रही हैं लेकिन औद्योगिक शहर कानपुर के लिए एक भी ट्रेन नहीं है जिससे व्यवसाइयों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। काती व्यवसायियों की संस्था एसिसडा ने रेल मंत्रालय से वाराणसी-कानपुर इंटरसिटी संचालित करने की मांग की है।
वाराणसी-प्रतापगढ़ वाया भदोही रेलखंड से प्रदेश की राजधानी लखनऊ के लिए जहां ट्रेनों की भरमार है वहीं कानपुर के लिए एक भी सीधी ट्रेन नहीं है। जिसके चलते लखनऊ के बाद यात्रियों को गाड़ी बदलनी पड़ती है। इससे न सिर्फ समय की बर्बादी होती है बल्कि पैसे भी अधिक खर्च होते हैं। बताते चलें कि लगभग एक दशक पहले चौरी-चौरा एक्सप्रेस रेलमार्ग से कानपुर जाती थी। उस समय लोगों को काफी राहत थी लेकिन बाद में उसका मार्ग परिवर्तित कर दिया। तब से अब तक रेलमार्ग पर कानपुर के लिए कोई ट्रेन नहीं मिली। कहने को सप्ताह में तीन दिन नीलांचल एक्सप्रेस कानपुर होकर जाती है लेकिन इससे व्यवसाइयों को अधिक लाभ नहीं मिलता। दरअसल कानपुर के लिए लोग ऐसी ट्रेन चाहते हैं जिससे सुबह जाकर रात में वापसी कर सकें।
उधर लखनऊ के लिए दो इंटसिटी, एक पैसेंजर सहित चार एक्सप्रेस ट्रेनें संचालित हो रही हैं। लोगों का कहना है कि सुबह 5 बजे वाराणसी से लखनऊ जाने वाली इंटरसिटी एक्सप्रेस को कानपुर चलाया जाए तो लोगों को राहत मिल सकती है। बताते चलें कि औद्योगिक शहर होने के कारण कानपुर के लिए बड़ी संख्या में व्यवसायियों का आना जाना लगा रहता है। ट्रेन के अभाव में लोगों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है।
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एक वर्ष पहले की गई थी मांग
- वाराणसी-भदोही पैसेंजर एसोसिएशन के अध्यक्ष रामऔतार शर्मा रामू ने इसके लिए एक वर्ष पहले डीआरएम को पत्र लिखकर ट्रेन संचालन की मांग की थी लेकिन विभाग ने गंभीरता से नहीं लिया गया। इससे लोगों में रोष व्याप्त है।
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मंत्रालय को भेजा जाएगा पत्र
- आल इंडिया कारपेट यार्न स्पिनर्स एंड डीलर्स एसोसिएशन के पूर्व महासचिव जेएस जैन का कहना है कि कानपुर के लिए सीधी ट्रेन न होना ¨चता का विषय है। कहा कि सुबह वाली इंटरसिटी को लखनऊ की बजाए कानपुर तक कर दिया जाए तो व्यवसायियों को भारी राहत मिल सकती है। बताया कि इस सम्बंध में संस्था के माध्यम से जल्द ही रेल मंत्रालय को पत्र भेजा जाएगा।