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उम्मीदों पर फिरा पानी, कई सपने तार-तार

ज्ञानपुर (भदोही) : करीब 35 दिन और उतनी ही रातें। जेहन में उठ रही अपार खुशियां तो हिमालय की एवरेस्ट च

By Edited By: Published: Thu, 26 May 2016 02:37 AM (IST)Updated: Thu, 26 May 2016 02:37 AM (IST)

ज्ञानपुर (भदोही) : करीब 35 दिन और उतनी ही रातें। जेहन में उठ रही अपार खुशियां तो हिमालय की एवरेस्ट चोटी सरीखे जनपदवासियों की उम्मीद। सपनों में उठ रहे समुद्र की लहरों रूपी ऊफान। यह सब हो भी क्यों न आखिर सूबे के मुखिया अखिलेश यादव का जनपद में आगमन जो होने वाला था। लगा कि उम्मीदों के फलीभूत होने का समय आ चुका है। बुधवार को तीन करोड़ रुपये से तैयार आलीशान मंच से एक भी बड़ी घोषणा न होने से सबकी सारी उम्मीदें धरी की धरी रह गईं। लोगों को यह कहते सुना गया क? िनेताजी की लगाई बगिया को उनके लाल नहीं सीचं पाए। आखिरकार प्रतिनिधियों के हाथ में तमाम मांगों का पु¨लदा पसीने से लथपथ होकर जीर्ण-शीर्ण हो गया।

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जनपद के लोग उस दौर को याद करते हैं जिस समय भदोही जनपद की मांग को लेकर लोग सड़कों पर विरोध-प्रदर्शन किया करते थे। तमाम सरकारें आईं और चली गईं लेकिन किसी ने जनपद के लोगों का दर्द नहीं सुना। 30 जून 1994 दिन मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम ¨सह यादव ने भदोही नामक एक अलग बगीचा तैयार कर दिया। इस बीच नाम को लेकर राजनीतिक विरोध झेलने के बाद आखिरकार फिर सत्ता में आने के बाद उन्होंने जनपद का नाम लौटा दिया। ऐसे में उनके पुत्र अखिलेश यादव को लेकर जनपदवासियों के जेहन में तरह- तरह की उम्मीदें भला क्यों न हो। 35 दिन पूर्व जब जिले में सीएम के आगमन-कार्यक्रम की पुष्टि हुई तो लोगों की उम्मीद जवां हो गई। तरह-तरह के सपने दिखने-दिखाए जाने लगे। कहीं से संभावना व्?यक्?त हुई क? िकाशीनरेश राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय को विश्वविद्यालय बनाने की घोषणा होगी तो किसी ने सुरियावां, डीघ को तहसील बनाए जाने के ऐलान की आशा जता दी। कोई औराई में ट्रामा सेंटर तो कोई रामपुर, डेंगुरपुर गंगा घाट पर पक्का पुल। विधानसभा चुनाव भी सिर पर है इसलिए सत्ताधारी प्रतिनिधियों के दिल में भी तरह-तरह की तमन्ना थी। वह भी समर्थकों-कार्यकर्ताओं से न जाने क्या-क्या कह गए। उन्हें भी पूरा भरोसा था कि सीएम यदि घोषणा कर देंगे तो आने वाले चुनाव में कुछ राजनीतिक लाभ मिल जाएगा। उनकी सारी कवायद धूल-धूसरित हो गई।

बुनकरों को भूल गए सीएम : कालीन नगरी की धरती पर बतौर मुख्यमंत्री पहली बार बुधवार को पहुंचे अखिलेश यादव कालीन की तारीफ करने का पुल तो बांध गए लेकिन जिनकी अंगुलियों के जादू से विश्व स्तर पर पहुंचा कालीन उसे भूल गए। बुनकरों की सुविधाओं को लेकर एक बार भी नहीं बोले। उन्हें भी मुख्यमंत्री के कार्यक्रम को लेकर जगी आस पर पानी फिर गया।


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