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561 गांवों का बस्ता ढो रहे 80 लेखपाल

ज्ञानपुर (भदोही) : राजस्व विभाग के रीढ़ कहे जाने वाले लेखपाल (पटवारी) अब दूर-दूर तक गांव में नहीं दि

By Edited By: Published: Thu, 05 May 2016 06:32 PM (IST)Updated: Thu, 05 May 2016 06:32 PM (IST)
561 गांवों का बस्ता ढो रहे 80 लेखपाल

ज्ञानपुर (भदोही) : राजस्व विभाग के रीढ़ कहे जाने वाले लेखपाल (पटवारी) अब दूर-दूर तक गांव में नहीं दिखते हैं। वजह है कि एक पटवारी के पास छह से आठ गावों की जिम्मेदारी जो सौंपी गई है। आलम यह है कि जनपद के 561 ग्राम सभाओं का बस्ता मात्र 80 लेखपाल ढो रहे हैं।

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कभी गांवों में लेखपालों की बैठकी होती थी। अधिसंख्य भूमि विवाद तो गांव में उनकी उपस्थिति से खत्म हो जाते थे। कभी-कभी तो रात भी गांव में ही गुजारते थे। उनकी निष्पक्षता और ईमानदारी के कारण पक्ष और विपक्ष सभी उनके निर्णय को मानते थे। वर्तमान में हकीकत इसके ठीक विपरीत है। अब तो कई कई माह तक गांव में लेखपाल नहीं दिखते हैं। कारण यह है कि जनपद के भदोही, ज्ञानपुर और औराई तहसील के 561 गांवों में मात्र 80 लेखपाल ही तैनात हैं। रिकार्ड पर गौर किया जाए तो जिले में तीनों तहसीलो को मिलाकर कुल 348 पद स्वीकृत है। अधिकारियों का कहना है कि पूर्व में जनपद में कुल 192 लेखपालों के पद स्वीकृत थे। शासन के निर्देश पर 156 नये पदों को स्वीकृत कर दिया गया है। खास बात तो यह है कि तीन वर्षों से नियुक्ति की प्रकिया चल रही है। बावजूद इसके अभी तक नये लेखपालों की तैनाती नहीं की जा सकी है। 245 पदों को भरने के लिए गत वर्ष लिखित परीक्षा के बाद साक्षात्कार भी कराया जा चुका है। साक्षात्कार हुए करीब चार माह से अधिक का समय बीत गया लेकिन अभी तक नियुक्ति नहीं की जा सकी है।

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नहीं हो पा रही सरकारी संपत्ति की सुरक्षा

- ग्रामीण अंचलों में सरकारी संपत्ति जैसे तालाब, ग्राम समाज की भूमि, सरकारी नाली आदि की सुरक्षा नहीं हो पा रही है। एक ही लेखपाल पर दर्जनों गांव का भार होने के कारण वह कई-कई माह तक गांव में नहीं दिखायी पड़ते हैं। भूमि की नापी के लिए किसानों को भी कई दिनों तक तहसीलों का चक्कर काटना पड़ रहा है। इसके अलावा तमाम राजस्व के मामलों का भी समयबद्ध एवं गुणवत्तापूर्ण निस्तारण नहीं हो पा रहा है।


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