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वाल्मीकि की तपोभूमि पर श्लोक की धारा

By Edited By: Published: Wed, 23 Jul 2014 11:16 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jul 2014 11:16 PM (IST)

महेंद्र दुबे

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ज्ञानपुर (भदोही) : आध्यात्मिक शक्ति से ओतप्रोत ब्रह्मर्षि वाल्मीकि की तपोभूमि में गंगा के किनारे एक बार फिर संस्कृत श्लोक की धारा बहेगी। सीता समाहित स्थल सीतामढ़ी में लुप्तप्राय हो चली वैदिक शिक्षा को एक नया आयाम मिलेगा। इसके लिए प्रमुख ट्रस्टी सत्यनारायण प्रकाश पुंज ने वैदिक विद्यालय का प्रस्ताव तैयार किया है।

रामायणकालीन वाल्मीकि आश्रम का अलग ही धार्मिक एवं आध्यात्मिक महत्व है। लव और कुश को संगीत गायन तथा अस्त्र-शस्त्र, शास्त्र योग की शिक्षा-दीक्षा भी ब्रह्मर्षि वाल्मीकि ने इसी भूमि पर ही दी थी। कभी इस नगरी में मंत्रों की धारा बहती थी। समय के साथ सब बदलता गया। जीनवदायिनी गंगा तट पर स्थित मां सीता की पुण्यभूमि के पवित्र क्षेत्र में संस्कृति, संस्कार व साहित्य की शिक्षा पर ग्रहण लग गया है। हकीकत यह है कि आधुनिकता के दौर में वैदिक संस्कृत पर संकट खड़ा हो गया। अंग्रेजी के सामने संस्कृत की शिक्षा बौना साबित हो रहा है। संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अभी तक न तो कोई आगे आया और न इसके लिए सरकार की ओर से कोई प्रयास किया गया। जो संस्कृत विद्यालय खुले भी हैं उनके वजूद पर भी संकट मंडरा रहा है। इसी को देखते हुए सीता समाहित स्थल के प्रमुख ट्रस्टी सत्यनारायण प्रकाश पुंज ने एक बार फिर नई पहल की है। उन्होंने पौराणिक स्थल सीतामढ़ी में वैदिक विद्यालय का प्रस्ताव रखा है। दयावंती पुंज मॉडल स्कूल के निदेशक ओपी चौधरी ने बताया कि पुंज जी ने सीतामढ़ी में वैदिक विद्यालय बनाने के लिए एक नया प्रस्ताव रखा है। विद्यालय पर शीघ्र ही काम शुरू हो जाएगा। उन्होंने बताया कि इस विद्यालय में छात्रों को वैदिक शिक्षा दी जाएगी। यह विद्यालय पूर्णतया आवासीय होगा।


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