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एक चिकित्सक पर 20 हजार पशुओं का जिम्मा

बस्ती: हर्रैया तहसील क्षेत्र का विक्रमजोत पशु चिकित्सालय बदहाली की मार झेल रहा है। 168 राज

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Oct 2017 08:30 PM (IST)Updated: Sun, 22 Oct 2017 08:30 PM (IST)
एक चिकित्सक पर 20 हजार पशुओं का जिम्मा

बस्ती: हर्रैया तहसील क्षेत्र का विक्रमजोत पशु चिकित्सालय बदहाली की मार झेल रहा है। 168 राजस्व गांवों के 20,000 पशुओं के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी सिर्फ 1 चिकित्सक पर है। अस्पताल का मुख्य भवन के साथ ही आवासीय भवन भी जर्जर है लेकिन इसकी सुधि लेने वाला कोई नहीं है। वर्षों पूर्व विक्रमजोत कस्बा के निकट पशु चिकित्सालय की स्थापना हुई थी। अनुरक्षण के अभाव में अब यह अस्पताल अपनी उपयोगिता सिद्ध नही कर पा रहा है। यहां पर केवल एक चिकित्सक की तैनाती है।चिकित्सक की कमी के चलते पशुपालकों को झोलाछाप डाक्टरों की शरण में जाना पड़ता है। मरम्मत के अभाव में पशु चिकित्सालय का मुख्य भवन पूरी तरह जर्जर हो चुका है और बाउंड्रीवाल ढह गई है। कर्मचारियों व चिकित्सकों के रात्रि निवास के लिए बनाया गया आवासीय भवन खंडहर में तब्दील हो चुका है, जिसके कारण कर्मचारी व चिकित्सक किराए के मकान में रहते हैं। अभी तक अस्पताल में बिजली कनेक्शन न होने के कारण कोल्ड चेन की दवाएं दूसरों के घरों में फ्रिज में रखी जाती हैं। परिसर में न तो स्वच्छ पेयजल के लिए अभी तक पानी की टंकी बनी है और न ही एक अदद इंडिया मार्क हैंडपंप ही है। पशुपालकों को प्यास बुझाने के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है। पशुपालक प्रमोद तिवारी, राजेंद्र ¨सह, संजय यादव, देवेन्द्र ¨सह, गोपाल दूबे, पतिराम यादव, कन्हैयालाल आदि ने चिकित्सालय पर पर्याप्त चिकित्सकों की तैनाती की मांग की है। पशु चिकित्साधिकारी राजेश कुमार मौर्य का कहना है कि शासन द्वारा उपलब्ध कराए गए संसाधनों में पशुपालकों को बेहतर सुविधा दी जा रही है। चिकित्सालय की समस्याओं से उच्च अधिकारियों को अवगत कराया गया है। दुबौलिया संवाददाता के अनुसार ललहवा-चिलमा में स्थित पशु अस्पताल खुद ही बीमार हो गया है। पशुपालक झोलाछाप डाक्टरों के हाथों लुटने को मजबूर हैं। बीस वर्ष पहले यहां अस्पताल का निर्माण हुआ था। वर्तमान समय में इसका भवन जर्जर हो गया है। छत में दरार आ गई है सरिया भी जगह-जगह दिखाई देने लगी है। दीवारों का प्लास्टर उजड़ चुका है। परिसर में शौचालय नही है। बरसात में दवाओं को पन्नी के सहारे ढंककर रखना पड़ता है।

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दुबौलिया में पशुओं के झोला छाप डाक्टर सक्रिय

दुबौलिया, हर्रैया,बस्ती: क्षेत्र में इन दिनों पशु चिकित्सकों की बाढ़ आ गई है। हर वर्ष बाढ़ आने के बाद पशुओं में संक्रामक बीमारी का खतरा बढ़ जाता है। इन दिनों बीमार पशुओं का इलाज झोलाछाप डाक्टर मुंहमांगी रकम लेकर कर रहे हैं। गांवों में अक्सर पालतू पशुओं को बीमारियां हो रहीं हैं। सरकारी डाक्टर न मिलने पर मजबूरी में पशुपालक झोला छाप के पास पशु लेकर जा रहे हैं। विशेषरगंज, दुबौलिया, रमवापुर राजा, भिउरा, सैनिया, चिलमा, डेईडीहा में यह चिकित्सक घूम कर इलाज करते नजर आते हैं। पशुपालक राधेश्याम, शेर ¨सह, रामजी, पल्टू ¨सह, जोखू, झिन्नू का कहना है कि मजबूरी में इनसे पशुओं का इलाज कराना पड़ रहा है। पशु चिकित्साधिकारी ललहवा-चिलमा डा. केएस चौधरी का कहना है, कि अगर कोई पशुपालक शिकायत करता है तो संबंधित के खिलाफ झोला छाप डाक्टर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उच्चाधिकारियों के आदेश पर इनके खिलाफ अभियान भी चलाया जाता है। पशुपालकों को चाहिए कि वह कतई इनके झांसे में न आएं, बीमार पशु का इलाज सरकारी अस्पताल पर ही कराएं।


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