तापमान मापने तक सिमटी मौसम वेधशाला
बस्ती: बस्ती का जिला औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र एशिया फेम का है। लेकिन इस परिसर में स्थापित मौसम वेधशाला अंतिम सांस गिन रहा है। उपकरण या तो टूट गए हैं या फिर खराब हैं। हालत यह है कि पूरी व्यवस्था सिर्फ तापमान मापने तक ही सिमट गई है।
औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केंद्र परिसर में 1957 को मौसम वेधशाला की स्थापना हुई। उद्देश्य रहा कि यहां लगे यंत्रों के जरिए मौसम की सटीक जानकारी प्राप्त की जा सके। साथ ही मौसम अनुमान के अनुसार पूर्वाचल के किसानों को उसी आधार पर खेती की सलाह दी जाने की भी व्यवस्था बनी। देश स्तर पर यहां की माह भर की रिपोर्ट महानिदेशालय यानी मौसम वेधशाला पूना को भी भेजा जाता रहा है। ताकि देश भर से एकत्र आंकड़ों पर शोध के आधार पर खेती और मौसम की भविष्यवाणी हो सके। शुरूआती दौर में मौसम वेधशाला की अपनी उपयोगिता भी प्रमाणित करता रहा, लेकिन अब यह बदहाली का शिकार हो गया है।
वर्तमान में यहां रेनफाल मापन यंत्र, वाष्पमापन उपकरण, दिशा सूचक उपकरण, तापमापी, हवा की तीव्रता मापने सहित अन्य उपकरण लगे हैं। पर तापमानी उपकरण को छोड़ दिया जाए तो कुछ भी दुरुस्त नहीं हैं। यहां तक के दिशा सूचक उपकरण भी टेढ़ा मेढ़ा हो गया है। वाष्पमापी उपकरण कितने दिन से खराब है, यह विभागीय लोग भी नहीं बता पा रहे हैं।
सबसे दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि जो उपकरण खराब है, उन्हें ठीक कराने की व्यवस्था नहीं है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि खराब उपकरणों को बदलने या ठीक कराने का काम पूना से ही होना है। लेकिन पिछले साल भर से वहां से कोई आया ही नहीं। ऐसे में उपकरण जैसे थे, वैसे ही पडे़ हुए है। अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि जो रिपोर्ट भेजी जा रही है, वह आखिर कितनी प्रमाणिक है।
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खुले में होता तो कुछ और बात होती
मौसम वेधशाला के उपकरण यदि ठीक भी करा दिए जाएं तो भी एक दिक्कत बनी रहेगी वह है उसका खुले में न होना। वेधशाला के आस-पास पेड़ लगाए गए थे, जो काफी बडे़ हो चुके हैं। साथ ही झाड़ झंखाड़ भी उग आयी है। ऐसे में न तो ठीक से रेनफाल की माप हो सकती है और न ही हवा की गति। जानकारों का कहना है कि यदि खुले में मौसम वेधशाला होता तो कुछ और बात होती।
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वस्तु स्थिति से कराया गया है अवगत
संयुक्त निदेशक उद्यान डा.आरपी सिंह कहते हैं कि मौसम वेधशाला की वस्तु स्थिति से निदेशालय को अवगत करा दिया गया है। स्थानीय स्तर से कुछ कर पाना संभव नहीं है। प्रयास है कि पूना की टीम आए, ताकि यहां की व्यवस्था सुधारी जा सके।
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