कुदरत हुई मेहरबान तो चहक उठे किसान
बस्ती: मंगलवार दोपहर कुदरत मेहरबान हुई। सवा बजे बारिश से आधे घंटे तक बादलों ने पानी बरसाया तो खेत मे
बस्ती: मंगलवार दोपहर कुदरत मेहरबान हुई। सवा बजे बारिश से आधे घंटे तक बादलों ने पानी बरसाया तो खेत में सूख रहे धान के साथ किसान के मुरझाए चेहरे पर भी हरियाली छा गयी। उमस से राहत मिली और धान की फसल से नाउम्मीद हो चले किसान चहक उठे। एक कहावत है Þका वर्षा सब कृषी सुखाने'पर अभी तक किसानों ने एन-केन प्रकारेण फसल को जीवित रखा है। हालांकि पैदावार अपेक्षानुरूप नहीं होगी परंतु कुछ नहीं होने से थोड़ा सा होना बेहतर है और इसी पर संतोष कर रहे किसानों को इस बरसात ने सप्ताह भर के लिए राहत दे दिया है। आगे के दिनों में बारिश हुई हुई तो यह धान की फसल के लिए सोने पर सुहागा वाली बात होगी। बता दें कि अगस्त माह में क्षेत्र में न के बराबर बारिश हुई। अगस्त में जब धान में कल्ले विकसित होने थे तब पानी की कमी से सूख रहे धान को बचाने की जद्दोजहद में किसान पर बिजली की किल्लत ,सूखी नहरें और महंगा डीजल भारी पड़ रहा था। कुछ लोगों ने तो हालात के आगे समर्पण कर दिया ¨कतु ज्यादातर लोग एन -केन प्रकारेण कृत्रिम ¨सचाई कर फसल जीवित रखने में जुटे रहे। गांवों में भजन-कीर्तन और बारिश के लिए टोटके शुरू हो गए ।
भानपुर क्षेत्र में अवर्षण से किसान परेशान
सल्टौआ, भानपुर, बस्ती: भादों मास में मौसम की बेरुखी से किसानों के होश उड़ गए हैं। उन्हें लगातार चौथी फसल बर्बाद होती नजर आ रही है। किसानों का कहना है कि यह महीना रिमझिम फुहार पड़ने का होता है, पर इस समय खेतों से धूल उड़ रही है। फसल बचाने की किसानों की जीतोड़ कोशिश सफल होती नहीं दिख रही है। प्रकृति के साथ ही सरकारी व्यवस्थाएं भी किसानों को खून के आंसू रुला रही हैं। अधिकतर राजकीय नलकूप खराब हैं व नालियां जर्जर हो चुकी हैं। आसमान में उमड़ घुमड़ रहे बादलों को देख कर लगता है कि अब उनके अंदर बरसने की शक्ति ही नहीं रह गई है।