33 साल से गौर की सीट पर एक ही परिवार का कब्जा
बस्ती : जिले में वैसे तो 14 ब्लाक हैं। हर चुनाव में नजारा बदलता रहता है। गौर एक ऐसी सीट है जहां 33 स
बस्ती : जिले में वैसे तो 14 ब्लाक हैं। हर चुनाव में नजारा बदलता रहता है। गौर एक ऐसी सीट है जहां 33 साल से एक ही परिवार का कब्जा है। महेश ¨सह ने इस बार खुद को अलग कर बेटे को राजनीतिक विरासत सौंप दी। सपा ने प्रत्याशी बनाया, तो वहीं के पंप व्यवसाई जटाशंकर शुक्ल ने ताल ठोंक दी। चुनाव हुआ और महेश ¨सह ने फिर मजबूती से उभर कर सामने आए।
रविवार को हुए प्रमुख चुनाव में गौर से अर¨वद ¨सह 73 मत पाकर जीत गए हैं। इनके प्रतिद्वंदी शुक्ल को महज 28 मत मिले हैं। इनको पटखनी देने के लिए पूरा विपक्ष एकजुट हुआ,इसके बाद भी वे सदस्यों को तोड़ने में असफल रहे। नामांकन के दिन विपक्ष ने एक साथ प्रदर्शन कर विपरीत परिणाम आने का संदेश दिया,लेकिन वह मतदान के दिन कोई खास असर नहीं दिखा पाया। महेश ¨सह सर्वप्रथम वर्ष 1983 में ब्लाक प्रमुख बनें। तभी से यह सीट इन्हीं के परिवार के इर्द गिर्द घूमता रहा। वह खुद तीन बार प्रमुख रहें। 33 वर्षो में तीन बार ऐसे मौके आए कि आरक्षण के चलते प्रमुख का पद आरक्षित हो गया,लेकिन वही जीता जिसको इनका समर्थन मिला । महिला सीट होने पर पत्नी उर्मिला ¨सह को ब्लाक प्रमुख बनाया। पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित हुआ तो अपने करीबी मनीराम मौर्या को इस कुर्सी पर बिठा दिया । अनुसूचित जाति को सीट रिजर्व हुई तो राम तौल को जिता दिया। वर्ष 1983 से 2016 के पहले यहां पांच बार ब्लाक प्रमुख निर्विरोध निर्वाचित घोषित हुए। 33 वर्षो में पहली बार यहां चुनाव की स्थिति बनी । जिसमें महेश ¨सह ने अपने पुत्र अर¨वद ¨सह को सपा के समर्थन से ब्लाक प्रमुख पद के लिए मैदान में उतारा।