दस साल से इस भवन की तरफ किसी ने नहीं देखा
बस्ती: अधिकारियों, कर्मचारियों, वकीलों व वादकारियों की भीड़ से जो परिसर कभी गुलजार रहता था, वह आज सून
बस्ती: अधिकारियों, कर्मचारियों, वकीलों व वादकारियों की भीड़ से जो परिसर कभी गुलजार रहता था, वह आज सूनसान पड़ा है। जिस भवन में बैठकर कभी अधिकारी फरियादियों की समस्याएं सुनते थे। उस भवन की ओर अब कोई मुड़कर देखने वाला नहीं है। यह हाल है-सोनहा डांक बंगले से सटे बने पुराने तहसील भवन का।
वर्ष 1989 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी ने भानपुर को तहसील बनाने की घोषणा की थी। भानपुर को तहसील बनाने के लिए बस्ती सदर व डुमरियागंज तहसील के कुछ गांवों को शामिल किया गया। घोषणा होने के बाद तहसील का संचालन सोनहा में किराए के मकान में शुरू हुआ। बाद में इसके संचालन के लिए डांक बंगले के बगल में ही अस्थाई तहसील भवन का निर्माण कराया गया। इसी भवन में वर्ष 2005 तक तहसील का संचालन होता रहा। तहसील भवन का निर्माण कार्य पूरा होने पर इसे भानपुर स्थानांतरित कर दिया गया।
दस साल से परिसर वीरान
दस साल हो गए। तहसील के नाम से जाना जाने वाला परिसर वीरान पड़ा है। सन् 1991 से 2005 तक होने वाला तहसील भवन आज की तारीख में अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। पूरे परिसर में झाड़ियां उग आई हैं। उपजिलाधिकारी न्यायालय न्यायालय भवन के समीप पुआल रख दिया गया है, तो अन्य भवनों के बरामदों में कंडा थापा जा रहा है। देख-रेख व मरम्मत के अभाव में भवन जर्जर होता जा रहा है।
दस साल से हैंडपंप बेकार
लोगों की प्यास बुझाने के लिए लगा इंडिया मार्क हैण्डपंप 10 साल से खराब पड़ा है। जल निगम के जिम्मेदारों द्वारा इसकी सुध नहीं ली गई। अगर उनके द्वारा इसे कहीं और लगवा दिया जाए, तो यह लोगों की प्यास बुझाने के काम आएगा।
शिकायत मिली है। परिसर को अतिक्रमणमुक्त कराने के लिए लोक निर्माण विभाग को व हैण्डपंप डाक बंगला परिसर में लगाने के लिए जल निगम विभाग को निर्देशित किया जाएगा।
सुरेश चन्द्र शर्मा, उपजिलाधिकारी।