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नौकरी व मुआवजा मिलेगा तब तोड़ेंगे अनशन

बस्ती : शिक्षक बनने का सपना टूटने का सदमा बर्दाश्त न कर पाने वाले दिवंगत शिक्षा मित्र रमाकांत यादव क

By Edited By: Published: Wed, 01 Jul 2015 09:50 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2015 09:50 PM (IST)
नौकरी व मुआवजा मिलेगा तब तोड़ेंगे अनशन

बस्ती : शिक्षक बनने का सपना टूटने का सदमा बर्दाश्त न कर पाने वाले दिवंगत शिक्षा मित्र रमाकांत यादव का परिवार बुधवार से आमरण अनशन पर बैठ गया है। 20 लाख रुपये मुआवजा और मृतक आश्रित को सरकारी नौकरी की मांग को लेकर पत्‍‌नी गोमती यादव, बेटे दिलीप कुमार के अलावा अन्य के साथ अनिश्चितकालीन अनशन शुरू किया।

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पत्‍‌नी गोमती यादव का कहना है कि उनके पति रमाकांत यादव का बतौर सहायक अध्यापक समायोजन भी हो गया था। मगर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी व सदर ब्लाक के खंड शिक्षा अधिकारी ने साजिश करके नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया। उनका आरोप है कि 20 हजार रुपये मांगा जा रहा था। उनकी मौत के लिए बीएसए व बीईओ सीधे जिम्मेदार हैं। गोमती के मुताबिक काफी परेशान करने के बाद इन दोनों के खिलाफ मुकदमा दर्ज तो किया मगर अब तक उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया। जब तक यह मांगें नहीं मानी गई, तब तक अनशन से नहीं हटेंगे।

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हंगामे के बाद मुकदमा, इसके बाद चुप

रमाकांत यादव की मौत के बाद लखनऊ से परिजन शव लेकर आए और 15 मई को सुबह नौ बजे से पहले कलेक्ट्रेट पहुंच गए। वह लोग बेसिक शिक्षा विभाग के खिलाफ नारेबाजी करते हुए बीएसए व बीईओ पर मुकदमा, आश्रित को नौकरी और 20 लाख रुपये मुआवजा की मांग करते हुए धरने पर बैठ गए। उप जिलाधिकारी सदर की सारी कोशिश बेकार साबित हुई, अंतत: जिलाधिकारी के निर्देश के बाद बीएसए व बीईओ के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के आरोप में मुकदमा दर्ज हुआ। तब जाकर अंतिम संस्कार के लिए शव ले गए। इसके बाद से पुलिस ने क्या किया, इसकी जानकारी न तो परिजनों को हुई न किसी अन्य को।

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क्या है पूरा प्रकरण

- 30 अप्रैल की रात दूसरे बैच के 1469 शिक्षा मित्रों का सहायक अध्यापक के रूप में समायोजन हुआ। जिसमें महरीपुर प्राथमिक विद्यालय पर तैनात रमा शंकर यादव को नियुक्ति पत्र नहीं मिला। जिसका रमाकांत को गहरा सदमा लगा और वह बेहोश होकर गिर पडे़। लखनऊ में इलाज के दौरान 14 मई को मौत हो गई।

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सिर्फ मात्रा की गलती पड़ी भारी

माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा 'आ' की मात्रा गलत जगह लगा देने की वजह से इतना बड़ा बखेड़ा खड़ा हुआ। असल में रमाकांत के हाईस्कूल की मार्कशीट में 'रामकांत' लिखा हुआ था। इसी मात्रा की गलती को आधार बनाकर उसके अभिलेखों का न तो सत्यापन किया गया और न ही नियुक्ति पत्र जारी किया गया। हालांकि इस तरह के प्रकरण में बयान हल्फी लेकर नियुक्ति करने की बात अधिकारी कर रहे थे मगर इस प्रकरण में ऐसा क्यों नहीं किया गया, यह एक बड़ा सवाल है।

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बन सकती है राह

प्रशासन चाहे तो मृतक आश्रित को नौकरी की राह बन सकती है। बशर्ते रमाकांत के अभिलेखों में सिर्फ एक मात्रा के अलावा वाकई दूसरी कोई त्रुटि न हो। जानकार बताते हैं कि मात्रा की गलती ठीक कर 30 अप्रैल के बाद और 14 जुलाई के पहले उनका समायोजन शिक्षक के रूप में कर लिया जाए, तब शिक्षक के मृतक आश्रित के रूप में नौकरी की बात बन सकती है। मगर इस पर अधिकारी फिलहाल रिस्क लेने को तैयार नहीं हैं।


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