खेतों की रखवाली में छूट रहा पसीना, पर नहीं बच रही फसल
बस्ती: तहसील क्षेत्र के किसान जहां अपने फसल को बचाने के लिए दिन-रात एक किये हैं ,वहीं प्रशासन द्वा
बस्ती: तहसील क्षेत्र के किसान जहां अपने फसल को बचाने के लिए दिन-रात एक किये हैं ,वहीं प्रशासन द्वारा उनके सहयोग में कोई पहल न किए जाने पर उनके मुंह से निवाला छिन जाने का भय उन्हें सता रहा है। दशकों से घुमंतू जानवरों के आक्रमण से अपने फसलों को बचाने की कवायद में जुटे किसान अब नकदी फसल बोने से कतरा लगाने हैं। अगर यही हाल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब कुछ महत्वपूर्ण फसलों की खेती क्षेत्र से विलुप्त हो जाएगी।
कई सालों से क्षेत्र में वनरोज, जंगली सुअर, नीलगाय, शाही व कैट फिश जैसे जानवरों ने आतंक मचा रखा है। नीलगाय जहां रबी व खरीफ की फसलों को नुकसान पहुंचा कर किसानों की उपज चौपट करने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते हैं वहीं जंगली सुअर व शाही जैसे खतरनाक जानवर आलू, मटर, मूंगफली, मूली, गाजर, चुकंदर, प्याज की फसल का समूल नाश करने पर आमादा हैं। एक तरफ जहां चना जैसी महत्वपूर्ण फसल अब किसान बोना ही छोड़ दिए वहीं इन जंगली जानवरों के आतंक से किसानों की रुझान कम होती दिख रही है। अगर वन विभाग ने इन जंगली जानवरों को पकड़ने या फिर खदेड़ने के लिये कोई प्रयास नहीं किया तो वह दिन दूर नहीं जब यहां के किसान खेत होने के बावजूद आलू, मटर जैसी महत्वपूर्ण चीजें भी बाजार से खरीद कर खाने पर मजबूर होंगे।
-किसानों ने सुनाई पीड़ा
क्षेत्र के किसान अपनी पीड़ा किससे कहें जब आज तक इन घुमंतू जानवरों के खिलाफ कोई कार्रवाई प्रशासन व वन विभाग द्वारा नहीं की गई। कुरेदने पर जागरण से कुछ किसानों ने कहा कि क्या करें, हम लोग तो दिन रात मचाना लगा कर व खेतों में मानव पुतला बनाकर लगाते-लगाते थक गये हैं। अब तो लगता है कि इन फसलों को उगाना ही छोड़ दें। एक तो दिन का चैन छिनता ही है दूसरे रात का सुकून भी गायब हो जाता है। अंत में पूंजी निकाल पाना ही मुश्किल हो जाता है। रुधौली कस्बा निवासी हरदेव मिश्र, डीएन तिवारी, सतीश पांडेय, प्रेम बहादुर सिंह, विजय नरायन तिवारी, अमरदीप सिंह व चंद्रमणि पांडेय ने बताया कि पहले तो केवल आलू, मटर की खेतों पर हमला बोलते थे लेकिन अब तो गेहूं की फसल भी बचानी मुश्किल हो गई है।
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क्या कहते हैं अफसर
उप जिलाधिकारी चंद्रशेखर मिश्र ने कहा कि वन विभाग को इन जंगली जानवरों पर अंकुश लगाने के लिये पत्र लिखा जाएगा, ताकि खेतों का बचाव किया जा सके और किसान अपनी उपज आसानी से प्राप्त कर सकें।
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