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धान खरीद की रफ्तार पर उपेक्षा का ब्रेक

बस्ती : किसानों की उपज का पाई-पाई उन्हें मिल जाए। इसका वादा सरकार करती है मगर धान खरीद में इस दावे

By Edited By: Published: Fri, 19 Dec 2014 10:04 PM (IST)Updated: Fri, 19 Dec 2014 10:04 PM (IST)

बस्ती : किसानों की उपज का पाई-पाई उन्हें मिल जाए। इसका वादा सरकार करती है मगर धान खरीद में इस दावे की हवा निकल गई है। तंत्र की उपेक्षा और धान डैमेज ने खरीद की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया है। नतीजतन अब तक 80 दिन बीत चुके हैं और मंडल में खरीद मात्र 3588 मीट्रिक टन हो सकी है, जबकि लक्ष्य 1.60 लाख एमटी और समय मात्र 40 दिन है। यानी लक्ष्य के सापेक्ष खरीद करना असंभव है।

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चालू वित्तीय वर्ष में 1 अक्टूबर से 30 जनवरी तक धान खरीद की योजना लागू की गई। इस समय सीमा में मंडल के 138 केंद्रों को 1.60 लाख एमटी धान खरीद करनी है। गुणवत्तायुक्त धान खरीद को लेकर शुरुआती दौर से ही सवाल उठने लगे थे। वह इस नाते कि धान गुणवत्ता की जांच में 10 से 20 फीसद तक डैमेज मिला, जिससे खरीद पर संकट के बादल मंडराने लगे। इसी बीच 25 नवंबर को केंद्रीय दल ने भी जिले से धान का नमूना लेकर लखनऊ में जांच की तो डैमेज का प्रतिशत 12 फीसद तक आया। इस स्थिति को देखते हुए केंद्रीय टीम ने इस बार वैल्यू कट के साथ चावल के डैमेज प्रतिशत को 3 से बढ़ाकर 4 तो धान को 5 से बढ़ाकर 7 फीसद किया गया, मगर यह डैमेज बढ़ोत्तरी भी मंडल में धान खरीद को बढ़ा पाने में कामयाब नहीं हो पा रही है। कारण यहां चक्रवाती तूफान हुदहुद के चलते 80 प्रतिशत धान 10 से 12 फीसद तक डैमेज हो गए। अब किसानों के सामने यह संकट खड़ा हो गया है कि वे अपनी उपज को कहां खपाएं। क्योंकि बाजार में धान समर्थन मूल्य 1350 रुपये प्रति क्विंटल के बजाय 9 से 10 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है।

ये है लक्ष्य

जिला लक्ष्य

बस्ती 70000

संत कबीर नगर 45000

सिद्धार्थनगर 45000

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कुल 160000

किसानों की सुनें

बहादुरपुर ब्लाक के नरायनपुर गांव निवासी किसान राम प्रसाद चौधरी ने कहा कि इस बार उनकी उपज तैयार हुई तभी से बेचने के लिए क्रय केंद्रों का चक्कर काट रहे हैं, लेकिन कोई न कोई बहाना कर उन्हें पीसीएफ के क्रय केंद्र ने टाल दिया। सरकार चाहे जितना दावा करे, मगर किसानों के हित में यह ठीक नहीं हो रहा है।

यहीं के रणजीत सिंह कहते हैं कि कई बार क्रय केंद्र पर गए है, मगर धान खरीदने को कौन कहे? सीधे मुंह बात तक केंद्र के लोग नहीं कर रहे हैं। आढ़ती को औने-पौने में धान बेचने की मजबूरी बन गई है। क्योंकि उपज बेच कर ही घर चलाना है, जिसे वाजिब कीमत पर सरकारी क्रय केंद्र नहीं ले रहे हैं।

पिपरा गौतम के राम चंद्र सिंह कहते हैं कि धान पैदा कर इस बार पछता रहे हैं। सरकारी खरीद केंद्र कब खुलता है और कब बंद हो जाता है? इसकी जानकारी किसानों को नहीं हो पा रही है। हम लोगों का धान गुणवत्ता परक है या नहीं इसका आंकलन का मानक क्या है? यह बताया नहीं जा रहा है।

कुसौरा बाजार के निसार अहमद ने कहा कि सरकारी तंत्र किसानों की उपेक्षा कर रहे हैं। गन्ना तो यहां समाप्त हो रहा है अब बारी धान व गेहूं की है। सरकार किसानों के हित को लेकर संवेदनहीन बन गई है। क्रय केंद्रों को खरीदने के लिए सख्ती से पेश आए और एफसीआई को चावल लेने के लिए दबाव बनाए तभी बात बन सकी है।

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यह हुई 80 दिन में खरीद

जिला खरीद

बस्ती 780

संत कबीर नगर 997

सिद्धार्थनगर 152

जबकि आढ़त के माध्यम से अब तक 1652 मीट्रिक टन की खरीद हो सकी है।

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-बंद मिला कटरा पीसीएफ क्रय केंद्र

- धान खरीद का बोर्ड पीसीएफ कटरा केंद्र पर टंगा है, मगर यहां न तो कोई किसान नजर आया और न कर्मचारी। तौल मशीन एक ओर तो झरना तथा अन्य संसाधन दूसरी ओर लावारिश हालत में पड़े हैं, जबकि केंद्र पर ताला लटक रहा है।

------------------------आरएफसी बोले

- संभागीय खाद्य नियंत्रक रवि कुमार ने कहा कि उपेक्षा नहीं बल्कि डैमेज के चलते धान खरीद बाधित है। केंद्रों पर किसान पहले नमूना लेकर जांच कराने पहुंचते हैं। जब नमूना रिजेक्ट हो जाता है तो फिर खरीद कैसे संभव है। गुणवत्ता युक्त धान की खरीद जारी है। अब तक 3588 मीट्रिक टन खरीद हो चुकी है। रही लक्ष्य पूरा करने की बात तो यह संभव नजर नहीं आता, क्योंकि डैमेज धान खरीद केंद्र नहीं करेंगे।


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