सांसद की पहल पर अमोढ़ा में जश्न, बंटी मिठाई
जागरण संवाददाता, बस्ती : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना सांसद आदर्श ग्राम योजन
जागरण संवाददाता, बस्ती : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना सांसद आदर्श ग्राम योजना में विकास खंड के समग्र ग्राम अमोढ़ा को विकसित करने के लिए सांसद हरीश द्विवेदी की पहल की सराहना का दौर थमा नहीं बल्कि शुक्रवार को यहां के लोगों में अपार खुशी देखी गई। दिन भर भाजपा कार्यकर्ताओं का आना-जाना लगा रहा तो स्थानीय लोग उनका मुंह मीठा कराने में मशगूल दिखे।
भाजपा जिलाध्यक्ष दयाशंकर मिश्र अपने सहयोगी कार्यकर्ताओं के साथ अमोढ़ा कोट द्वार पहुंचे और पुष्प अर्पित किए। बता दें कि अमोढ़ा कोई ऐसा सामान्य गांव नहीं है जिसे सांसद ने विकसित करने के लिए चुना है, बल्कि यहां के अवशेष आज भी उन नौजवानों की रगो में देश भक्ति का जज्बा पैदा करते हैं जो इस मातृभूमि में खेल कर बड़े हुए। क्योंकि इतिहास के बीते पन्ने को देखें तो महज 16 वर्ष की ही अपनी तरुणाई में जालिम सिंह को राजगद्दी मिल गई थी। तब राजा ने इस नगर अमोढ़ा को बचाने के लिए अपने जान की बाजी लगा दी। हालांकि राजा को वीरगति मिलने के बाद रानी तलाशि कुंवरि को भी जीवन भर अंग्रेजी शासकों से युद्ध करना पड़ा। अब जब सांसद ने इसे विकसित करने का कदम उठाया है तो लोग दलगत व राजनीति से ऊपर उठकर इस कदम की सराहना कर रहे हैं।
नगर अमोढ़ा ब्लाक की सबसे बड़ी ग्राम पंचायत के रूप में जाना जाता है जहां की आबादी 6500 से भी अधिक है, को भी शायद विकास की नई कहानी गढ़ने का मौका मिले। इससे यहां के लोगों की खुशियां देखने लायक है।
सुबह दस बजे भाजपा जिलाध्यक्ष मिश्र, सांसद प्रतिनिधि विजय भान सिंह, गोरक्ष प्रांत के किसान मोर्चा के महामंत्री देवेन्द्र सिंह, डा. घनश्याम सिंह, पटेश्वरी प्रसाद तिवारी, बृजेश मिश्र, बलराम सिंह, राम स्वारथ, उदय नरायन सिंह, सुनील सिंह समेत तमाम कार्यकर्ता अमोढ़ा कस्बे में पहुंचे तो कस्बा वासी माता प्रसाद सिंह, बेचन शर्मा, अमर गुप्ता, संजय, सीताराम सहित सैकड़ों लोगों ने मिष्ठान वितरण कर लोगों का स्वागत किया।
अमोढ़ा भले ही लोहिया व समग्र ग्राम मे चयनित है लेकिन अमोढ़ा की बदहाली व उपेक्षा का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ऐतिहासिक होने के बावजूद भी राजकोट तक पहुंचने के लिए एक अदद सड़क भी नहीं है। वहीं राजकोट पर उगे झाड़ झंखाड़ व जंगली पौधे जिम्मेदारों को मुंह चिढ़ा रहे हैं।
अमोढ़ा में पड़ने वाली कोटही मां के मंदिर के बारे में यह प्रचलित है कि यह मंदिर राजघराने का मुख्य पूजा स्थल था। जहां पर राजमहल के लोग अपने ईष्ट देवी देवता के रूप में इनकी उपासना करने के लिए आते थे। लेकिन वहां पर फैली अव्यवस्था प्रदेश सरकार के विकास के आईने का असली चेहरा दिखा रही है। कस्बे में ही रहने वाले राजेश सिंह कहते हैं कि
वर्षो पुराना यह मंदिर लोगों की आस्था का प्रतीक है जहां पर सप्ताह में मंगलवार को मेला लगता है।
भाजपा जिलाध्यक्ष मिश्र कहते हैं कि पिछड़े गांवों की नजर में तमाम गांव हैं लेकिन अमोढ़ा को विकसित करने का मकसद राजा जालिम के उन वीर गाथाओं को जीवित रखना है जिन्होंने देश की आजादी के लिए जीवन के भौतिक सुखों का त्याग करने के साथ ही अपने प्राणों की आहुति भी दी।