आस्था ने किया यह हाल,और काली हो गई कुआनों
जागरण संवाददाता,बस्ती: आस्था के नाम पर गंगा कही जाने वाली जीवनदायिनी कुआनों नदी में कूड़ा कचरा गि
जागरण संवाददाता,बस्ती: आस्था के नाम पर गंगा कही जाने वाली जीवनदायिनी कुआनों नदी में कूड़ा कचरा गिराया जा रहा है। काली हो चुकी इस नदी का जल प्रदूषित हो गया है। इसमें रहने वाले जलीय जीव जंतुओं का जीवन संकट में तो है ही अब इसके सेवन से जानवर बीमार और मरने भी लगे हैं।
सुप्रीम कोर्ट की चेतावनी के बावजूद आस्था के नाम पर नदियों में कूड़ा प्रवाहित किया जा रहा है। नदी को प्रदूषित होने से बचाने के लिए मंडल मुख्यालय पर दो साल पहले क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी का कार्यालय खोला गया। बोर्ड के वैज्ञानिक नदी के जल का नमूना नियमित लेकर जांच करते हैं, लेकिन कार्यवाही की बारी आती है तो रिपोर्ट फाइलों की ढेर में सजा देते हैं।
दुर्गा पूजा और दीवाली में स्थापित की गई प्रतिमाओं के विसर्जन से भी नदी प्रदूषित हुई है, इस बात की तस्दीक जल की जांच में भी हो चुका है। इन्हीं पर्वो की आड़ में काली हो चुकी कुआनों में चार दिन पहले बभनान और मनकापुर,गोंडा की आसवानी इकाईयों का दूषित जल गिरा दिया गया जिसके बाद जल और प्रदूषित हो गया है। कई जगहों पर मछलियों के मरने और जल का सेवन कर पशुओं के बीमार होने की खबरें मिल रही हैं।
जांच पड़ताल में यह बात सामने आई है कि जनपद मुख्यालय से सौ किमी दूर पगारे घाट पर जहां कुआनों में गोंडा की बिसुही नदी का मिलन होता है वहां कुआनों का जल निर्मल और पीने योग्य है लेकिन जैसे ही दूसरी नदी का जल इसमें मिलता है पानी का रंग बदल जाता है।
प्रदूषण बोर्ड के वैज्ञानिक भी कहते हैं बिसुही नदी के मिलने से पहले कुआनों का जल स्वच्छ और प्रदूषण रहित है। तीन दिन पहले यानी 28 अक्टूबर को जांच करने गए वैज्ञानिकों को कुआनों नदी का पानी साफ मिला लेकिन अब यह जल काला हो गया है। इसका मतलब साफ है इन दो दिनों में आसवानी इकाईयों का गंदा जल नदी में गिराया गया है। इस बात से बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी भी इनकार नहीं करते हैं। नदी को प्रदूषित करने में नगर पालिका और गनेशपुर की एक फैक्ट्री भी कम जिम्मेदार नहीं है।
..ऐसे बिगड़ा नदी का रूप
दशहरा पर्व के पहले कुआनों नदी का जल स्वच्छ था। मूर्ति विसर्जन के पहले,मूर्ति विसर्जन के दिन और एक दिन बाद लिए गए जल नमूने की जांच के बाद यह दावा क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी विमल कुमार ने किया। इन तीन दिनों तक नदी के जल की गुणवत्ता का लगातार अनुश्रवण किया गया।
क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी के अनुसार धोरिका गांव के पास अपस्ट्रीम में जांच के समय नदी के जल में डीओ यानी घुलित आक्सीजन की मात्रा 7.2 मिली ग्राम प्रति लीटर और डीओडी यानी बायोकेमिकल आक्सीजन डिमांड 3.1 मिलीग्राम प्रति लीटर पाई गई। नदी का जल सतही जल गुणवत्ता मानकों के अंतर्गत बी श्रेणी की है। नदी का जल अपस्ट्रीम में नहाने और डाउनस्ट्रीम में मत्स्य पालन योग्य बताया गया।
कुमार ने बताया दीपावली के बाद नदी के जल का रंग बदला और यह प्रदूषित हुआ। इसके लिए आसवानी की दो इकाईयां पूरी तरह जिम्मेदार है। इन इकाईयों का दूषित जल 28 अक्टूबर के बाद गिराया गया है। गुरुवार को अमहट घाट पर फिर से नदी के जल का नमूना जांच के लिए लिया गया है। इसके लिए नदी को प्रदूषित करने वाली दोनों आसवानी इकाईयों के खिलाफ कार्यवाही के लिए जिलाधिकारी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को पत्र लिख दिया गया है।
कुआनों को प्रदूषित करने वाली इकाईयों को चिन्हित करा लिया गया है। इस बारे में दो दिन पहले बैठक कर उनको आगाह भी किया जा चुका है। गुरुवार को जल का नमूना जांच के लिए लिया गया है। रिपोर्ट आने के बाद नदी में दूषित जल प्रवाहित करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
अनिल कुमार दमेले,जिलाधिकारी