Move to Jagran APP

घाघरा के जलस्तर में गिरावट के साथ बढ़ी दुश्वारियां

By Edited By: Published: Wed, 17 Sep 2014 10:44 PM (IST)Updated: Wed, 17 Sep 2014 10:44 PM (IST)
घाघरा के जलस्तर में गिरावट के साथ बढ़ी दुश्वारियां

जागरण संवाददाता, बस्ती : घाघरा के जलस्तर में गिरावट के साथ ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में दुश्वारियां बढ़ती जा रही हैं। बढ़ते जलस्तर को देखने तो प्रदेश के कैबिनेट मंत्री से लेकर सांसद व जनपद के आला अधिकारी पहुंचे, लेकिन उनका हाल जानने कोई नहीं पहुंच रहा है, जो तबाही के कगार पर खड़े हैं। आलम यह है कि अब बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ के साथ आया कचरा महामारी को दावत दे रहा है, जिससे लोग परेशान हैं। कटान से बर्बाद फसल किसानों की परेशानी का कारण बन गयी है।

loksabha election banner

घाघरा के बढ़ते जलस्तर व कटान ने तहसील क्षेत्र के दुबौलिया व विक्रमजोत क्षेत्र के दर्जनों गांवों को बुरी तरीके से प्रभावित किया है। अभी तक जो लोग पलायन को मजबूर थे , अब वहीं महामारी की चपेट में हैं। विक्रमजोत क्षेत्र में घाघरा ने सबसे अधिक कहर गौरियानैन, खतमसराय, बाघानाला, मुड़ेरीपुर, अर्जुनपुर आदि गांवों ढाया है। वजह कि संदलपुर गांव से लेकर माचा गांव तक बांध का निर्माण नहीं हुआ है। घाघरा ने गौरियानैन गांव के पास लगभग पचास एकड़ धान व गन्ने की फसल को अपनी धारा में समाहित कर लिया है। अब ग्रामीण अपने घर लौटने लगे हैं तो दरिया के साथ आयी गंदगी से महामारी फैलने का खतरा मंडरा रहा है। दुबौलिया क्षेत्र के टकटकवा, दिलासपुरा, पहड़वापुर, देवारा गंगबरार, अशोकपुर आदि गांवों में हालात भयावह है।

इनकी भी सुनिए

प्रभावित ग्रामीण बच्चाराम यादव की मानें तो बाढ़ की विभीषिका का जन्म सिर्फ बालू माफियाओं के अवैध खदान की देन है। यदि प्रशासन समय रहते इन धंधे पर लगाम लगा पाता तो शायद यह स्थिति न आती। ग्रामीण यशवंत कुमार, ताड़कनाथ, राजमणि, बजरंग आदि बताते हैं कि दरिया की बाढ़ ने हमारे सैकड़ों एकड़ भूमि को अपनी गोद में समाहित कर लिया, अब जबकि बाढ़ का खतरा टल गया है तो परिवार के आगे दो वक्त निवाले का संकट खड़ा है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.