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बकाया वसूली में ढीला पड़ा शिकंजा

By Edited By: Published: Mon, 18 Aug 2014 10:34 PM (IST)Updated: Mon, 18 Aug 2014 10:34 PM (IST)
बकाया वसूली में ढीला पड़ा शिकंजा

जागरण संवाददाता, बस्ती : वर्ष 11-12 व 12-13 के सरकारी चावल की बकाया वसूली पर विभागीय शिकंजा ढीला पड़ गया है। शासन ने बकाया वसूली को लेकर सख्त हुए संभागीय खाद्य विभाग को रियायत बरतने का निर्देश देते हुए 30 अगस्त तक 25 प्रतिशत भुगतान लेकर राहत देने का फरमान जारी कर दिया था। इस पर बकायेदार भी निश्िचत हो गए और विभाग के हाथ बंध गए।

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मंडल में सरकारी चावल का कुल बकाया राइस मिलों पर कोर्ट के निर्णय के बाद साढ़े बत्तीस करोड़ रुपये था। इसकी वसूली जब विभाग ने शुरू की तो कई राइस मिलर न्यायालय की शरण में चले गए। न्यायालय ने जनवरी माह में निर्णय दिया कि विभाग द्वारा वाणिज्यिक दर के बजाय उस समय के 1611.99 रुपये प्रति क्विंटल हिसाब से वसूली की जाए। शेष राशि के लिए शासन स्तर से प्रतिनिधि गठित कर बातचीत के माध्यम से वसूली हो। इस निर्देश के बाद विभाग ने तेजी दिखानी शुरू कर दी और दो माह के भीतर करीब 14 करोड़ रुपये वसूल लिए, जबकि दर्जन भर राइस मिलरों के खिलाफ आरसी जारी कर दी गई। यही नहीं फर्जी एनएसई देने वाले चार राइस मिलरो के खिलाफ दबाव बनाकर रुपया जमा करने का निर्देश विभागीय अधिकारी ने दिए। धन जमा हुआ और स्थिति सामान्य हो गई। इसके बाद अन्य बकायेदारों पर विभाग ने शिकंजा कसना शुरू किया तो फिर राइस मिलर एसोसिएशन ने हस्तक्षेप करे हुए शासन से गुहार लगाई। इस पर शासन ने राइस मिलरो पर रियायत बरतते हुए बकाया का 25 प्रतिशत जमा करवाने का निर्देश दिया। शासन ने राइस मिलरो की मांग पर विभाग पर बकाया कुटाई व परिवहन का भुगतान किए जाने का निर्देश दिया था। इस निर्देश के बाद विभाग का वसूली पर शिकंजा ढीला पड़ गया।

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104 मिलों पर 18 करोड़ बाकी

मंडल की 104 मिलों पर वर्ष 11-12 व 12-13 का 18 करोड़ रुपये बकाया है। इसकी वसूली को लेकर शासन के निर्देश के बाद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।

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क्या कहते हैं जिम्मेदार

आरएफसी रवि कुमार कहते हैं कि शासन के निर्देशों का शत प्रतिशत पालन किया जा रहा है। वसूली में ढिलाई इसलिए हो रही है कि शासन ने रियायत देने का निर्देश जारी कर दिया है, लेकिन अब तक कोई भी मिलर इस पर अमल नहीं किया। वैसे जो कुटाई व परिवहन का बकाया है उसके लिए मिलरों को बिल प्रस्तुत करने को कहा गया है, मगर अब तक एक भी मिलर ने विभाग को बिल नहीं दिया।


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