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पहले पसीना बहाया, अब रोटी के लाले

By Edited By: Published: Thu, 31 Jul 2014 10:55 PM (IST)Updated: Thu, 31 Jul 2014 10:55 PM (IST)

जागरण संवाददाता, बस्ती : दो जून की रोटी के लिए धूप में पसीना बहाया, जब मजदूरी देने का समय आया तो खजाना ही खाली हो गया। पांच माह से मनरेगा के लाखों मजदूर मजदूरी के लिए क्षेत्र पंचायतों के चक्कर लगा रहे हैं। इनकी मजदूरी का 9 करोड़ 88 लाख 65 हजार रुपये बकाया चल रहा है।

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गांव में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए चलाई जा रही महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में मजदूरों ने पहले काम पाने के लिए प्रधान और सेक्रेटरी की जी हुजूरी की अब भुगतान के लिए दौड़ लगा रहे हैं। यह हाल किसी एक ब्लाक अथवा ग्राम पंचायत का नहीं बल्कि जिले की के 14 विकास खंडों की 1047ग्राम पंचायतों की है। कार्यदायी संस्थाओं ने कार्य कराकर एमआईएस फीडिंग करा दिया लेकिन इसका भुगतान अब तक नहीं हो पाया है।

ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायतों ने अफसरों की वाहवाही लूटने के लिए उम्मीद में कार्य करा दिया। भुगतान करने का समय आया तो खंड विकास अधिकारियों ने धन होने की बात बता हाथ खड़े कर दिए हैं।

मनरेगा में धन की कमी तब से है जब से ईएफएमएस यानी इलेक्ट्रानिक फंड मैनेजमेंट सिस्टम लागू किया गया। इस नई व्यवस्था में कार्यदायी संस्थाओं ने एक कार्य चलते रहने की अनिवार्यता का पालन किया अब यह उनके जी का जंजाल बन गया है। नई व्यवस्था को पांच माह होने जा रहा है लेकिन मनरेगा में कराए गए कार्य का भुगतान अब तक नहीं किया गया है।

बाकी चल रहे 9.88 करोड़ में 9 करोड़ क्षेत्र और ग्राम पंचायतों की देनदारी है तो 83 लाख जिला पंचायत की है। धनाभाव में ग्राम पंचायतों में मनरेगा का कार्य लगभग ठप चल रहा है। सर्वाधिक 1 करोड़ 24लाख 67 हजार सल्टौआ गोपालपुर में तथा 1 करोड़ 18 लाख 85 हजार बनकटी विकास क्षेत्र में मजदूरी बाकी है।

भूख मिटाने के लिए शहर में काम की तलाश

मनरेगा में काम करने वाले हजारों मजदूर अब काम की तलाश में शहर की ओर भाग रहे हैं। मनरेगा का नाम सुनते ही मजदूरों के चेहरे पर नाराजगी झलकने लगती है। मजदूरों का कहना है एक तो मजदूरी कम मिलती है दूसरे काम के लिए प्रधान और सेक्रेटरी की जी हुजूरी करनी पड़ती है। पांच माह पहले किए हुए काम का अब तक भुगतान नहीं मिला। रघुनाथपुर,गौर निवासी संतोष कुमार, धुरधा, परसरामपुर निवासी मुन्ना व केशव प्रसाद तथा रमेश ने बातचीत में बताया काम करके भुगतान के लिए दौड़ लगाकर वह लोग थक चुके हैं। अब तो उनको इसमें कभी काम नहीं करना। शहर में आने पर एक तो मजदूरी अधिक मिलती है दूसरे उधारी नहीं होती।

बकाया मजदूरी पर एक नजर

ब्लाक बकाया मजदूरी

बहादुरपुर 46.16 लाख

बनकटी 118.85 लाख

सदर 43.01लाख

दुबौलिया 71.98 लाख

गौर 16.29 लाख

हर्रैया 75.3 लाख

कप्तानगंज 30.18लाख

कुदरहा 87.55 लाख

परसरामपुर 95.5लाख

राम नगर 53.34लाख

रुधौली 51.9 लाख

सल्टौआ 124.67लाख

साऊंघाट 56.9 लाख

विक्रमजोत 31.4 लाख

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यह सही है मनरेगा में मजदूरों का 9 करोड़ 88 लाख 65 हजार बकाया चल रहा है। इसके भुगतान के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। उम्मीद है जल्द ही इसका भुगतान हो जाएगा।

मार्कण्डेय शाही, मुख्य विकास अधिकारी


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