तभी आएगी मुस्कान, जब कुछ करेंगे काम
जागरण संवाददाता, बस्ती : कृषि में बढ़ती लागत और जोखिम का असर फसल उत्पादन पर भी पड़ रहा है। यूं तो खेती में श्रम व्यय कम करने के लिए तमाम तरह के कृषि यंत्र बाजार में हैं लेकिन खेतों में हरियाली और किसानों के चेहरे पर मुस्कान तब आएगी जब खाद, बीज और कीट नाशकों की पर्याप्त उपलब्धता के साथ सिंचाई की समुचित व्यवस्था हो।
सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े इस जिले में कृषि भूमि काफी उपजाऊ है। कुल प्रतिवेदित क्षेत्रफल 2.76 लाख हेक्टेयर में से 2.07 हेक्टे यर क्षेत्रफल में खेती की जाती है। इन में से 1.33 लाख हेक्टेयर में रबी और 1.65 लाख हेक्टेयर में खरीफ तथा पांच हजार हेक्टेयर में जायद की खेती होती है।
औसत से कम हुई बरसात के चलते यहां सूखे की आहट सुनाई दे रही है किसान और खेती पर चर्चा हो रही है लेकिन इससे निपटने की अब तक कोई प्रशासनिक तैयारियां नहीं की गई है। जनपद में 96 फीसद खेतों में धान रोपा जा चुका है लेकिन पानी की कमी के चलते खेतों में रोपे गए पौधे पीले हो रहे हैं। पांच फीसद खेतों में जहां धान नहीं रोपा गया है वहां अरहर, उड़द और तिल की खेती करने पर जोर दिया जा रहा है। सबसे बड़ी समस्या सिंचाई की है। ले देकर एक सरयू नहर है जिससे पांच फीसद कृषि क्षेत्र ही कवर होता है, लेकिन नहरों की स्थिति यह है सालों से इसकी सफाई नहीं हुई जिससे इसका पूरी तरह से लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है। रही बात राजकीय नलकूपों की तो कहने को यहां 447 नलकूप हैं। इनमें से कहीं बिजली नहीं है तो कहीं पर यांत्रिक दोष है। अधिकांश नलकूपों की नालियां ही नहीं हैं। नलकूप चालकों की भी कमी है। निजी स्रोतों से ही किसान खेती कर रहे हैं। निश्शुल्क बोरिंग योजना को बढ़ाकर इस समस्या का काफी हद तक निदान किया जा सकता है लेकिन इसका लक्ष्य मांग से काफी कम है। जनपद में सवा दो लाख की संख्या में लघु सीमांत किसान हैं इनमें से अब तक 70 हजार किसानों को ही इस योजना से लाभान्वित किया जा सका है।
सोलर पंप हो सकता है विकल्प : ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली की काफी समस्या है। डीजल महंगा है इसके सहारे खेतों की सिंचाई महंगी पड़ती है। सौर ऊर्जा आधारित सोलर पंप एक विकल्प बनकर उभरा है। एक साल में जिले के 150 किसानों ने सिंचाई के लिए खेतों में सोलर पंप लगाया है। नेडा के परियोजना अधिकारी एसडी दूबे का कहना है दो हार्स पावर वाले सोलर पंप का मूल्य 2.75 लाख है लेकिन किसान को यह 75 फीसद अनुदान पर दिया जाता है।
संभल कर करें खेतों में यूरिया का प्रयोग
कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को खेतों में यूरिया का प्रयोग कम करने और रात में सिंचाई करने की सलाह दी है।
कृषि वैज्ञानिक डा.एसएन सिंह ने कहा है ऊंचे स्थानों पर खेतों में अरहर, उड़द और तिल की खेती करना किसानों के लिए लाभप्रद हो सकता है। जहां धान की रोपाई हो चुकी है खेत में नमी बनी रहनी चाहिए। धान में यूरिया के साथ पोटाश का छिड़काव करना अच्छा रहेगा। खेत में तना छेदक लग रहे हों तो इनमें क्लोरोपाइरीपास नामक कीटनाशक एक एकड़ में एक लीटर प्रयोग किया जाए। यह दवा डिब्बे में छेदकर नाली में उलटा कर रख दिया जिससे बूंद बूंद टपकता रहे।
जिला कृषि अधिकारी सतीश चंद पाठक खेतों की मेड़ों को ठीक रखा जाना चाहिए ताकि वर्षा का पानी खेत में ही रहे। जिंक सल्फेट और माइक्रोन्यूट्रीयंट का प्रयोग किया जाए। इससे खेत में हरियाली बनी रहेगी।