14 तटबंध, 141 किमी, फिर भी असुरक्षा
जागरण संवाददाता, बस्ती : यहां लाखों की आबादी बाढ़ के खतरे के बीच अपना जीवन बसर कर रही है। विधानसभा हो या लोकसभा का चुनाव कभी इसे चुनावी मुद्दा नहीं बनाया गया। बाढ़ जैसी त्रासदी से होने वाली जन-धन को हानि कम करने के लिए तटबंधों की मरम्मत पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं लेकिन न तो तटबंध सुरक्षित होते हैं और न ही आमजन।
2688 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैले इस जनपद में चार तहसीलें हैं पर उनमें से दो हर्रैया और सदर बाढ़ प्रभावित है। गांवों में रहने वाली आबादी के साथ ही 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल से अधिक कृषि भूमि की सुरक्षा के लिए 141 किमी में 14 तटबंध बनाए गए हैं।
बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का अधिकांश हिस्सा काबीना मंत्री राज किशोर सिंह और राज्यमंत्री राम करन आर्य के विधानसभा क्षेत्र में आते हैं। सर्वाधिक तबाही घाघरा मचाती है। हालांकि मनवर और कुआनों नदियां भी हैं। नदियों में आने वाली बाढ़ के फैलाव को रोकने के लिए चौदह बांध बनाए गए हैं, जिनकी कुल लंबाई 141.41 किमी है। अकेले घाघरा नदी पर सात तटबंध है जिनकी कुल लंबाई 71 किमी है। मनवर नदी पर छह तटबंध हैं जिनकी कुल लंबाई 70 किमी है। इन बांधों से 50717 हेक्टेयर क्षेत्रफल कृषि भूमि की रक्षा होती है। इन बंधों की मरम्मत पर दो साल में बीस करोड़ से ज्यादा धन खर्च किया गया है। विक्रमजोत-धुसवा बांध : यह तटबंध घाघरा नदी के बाएं किनारे अयोध्या ब्रिज से 11 किमी डाउन स्ट्रीम में प्रारंभ होता है। तटबंध जब बना तो नदी 2 किमी दूर रही पर कटान करते हुए अब बंधे के करीब पहुंच गई है, जिससे साढ़े तेरह किमी लंबा यह बांध अति संवेदनशील हो गया है। इस तटबंध से हर्रैया तहसील के 165 ग्रामों और 10121 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि की सुरक्षा होती है।
काशीपुर-दुबौलिया तटबंध : यह घाघरा नदी के बाएं तटबंध पर साढ़े ग्यारह किमी लंबाई में निर्मित है। इस बांध पर भी कटाव निरोधी कार्य की आवश्यकता जताई गई है। इस तटबंध का एक किमी तो अति संवेदनशील है।
कटरिया-चांदपुर तटबंध : यह तटबंध घाघरा नदी के बाएं तट पर पांच किमी लंबाई में है। तटबंध का दो किमी भाग अति संवेदनशील है। चांदपुर-गौरा तटबंध भी कम संवेदनशील नहीं है। बाढ़ के समय इस तटबंध की सतत निगरानी की जरूरत पड़ती है।
गौरा-सैफाबाद तटबंध: यह तटबंध घाघरा नदी के बाएं तट पर तेरह किमी लंबाई में है। नदी के कटाव के चलते इस बांध के भी टूटने का खतरा बना रहता है।
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जिले में 50717 हेक्टेयर क्षेत्रफल कृषि भूमि को बाढ़ से बचाने के लिए 141 किमी लंबाई में 14 तटबंध बनाए गए हैं।
हरि नारायण सिंह, अधिशासी अभियंता, बाढ़ खंड
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