पाइप लाइन तक सिमटी योजना
जागरण संवाददाता ,बस्ती: जलकल विभाग द्वारा हर्रैया कस्बे व बाजारों के लोगों को स्वच्छ जल मुहैया कराने के लिए वाटर हेड टैंक का निर्माण कराया गया था, पर विभागीय अनदेखी के चलते यह बेकार साबित हो रहे हैं। एक तरफ जहां राहगीरों को गला तर करने के लिए फुटकर दुकानदारों के यहां अपनी जेब ढीली करनी पड़ रही है, तो वहीं स्थानीय लोगों को देसी हैंडपंपों का ही सहारा रह गया है।
गौर तलब है कि जलकल विभाग द्वारा हाईवे के किनारे बसे सघन आबादी वाले कस्बों व बाजारों में वाटर हेड टैंक का निर्माण करवाया गया था। तथा लाखों खर्च कर पाइप लाइनें बिछायी गयी थी लेकिन विभागीय कर्मचारियों की लापरवाही नागरिकों की इस अहम समस्या पर भारी पड़ रही है। बानगी के तौर पर छावनी कस्बे को ही ले लें तो यहां पर बीते वर्ष 2004 में ही कस्बे से सटे जितियापुर गांव में हेडटैंक का निर्माण करवाया गया था पर पिछले कई वर्षो से यह शोपीस बना हुआ है कारण कि कस्बे में लगी करीब 28 वाटर पोल में से अधिकतर तो व्यवस्था की दुहाई दे रहे हैं तो कुछ अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं। ऐसे में विभाग द्वारा कस्बे वासियों को स्वच्छ जल मुहैया कराने की मंशा बेकार साबित हो रही है।
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ग्रामीण बोले
कुसुम देवी, धनपता, जगदीश पांडे, रामअजोर वर्मा, ललित मोहन, पवन आदि कहते हैं कि विभाग ने तो टैंक का निर्माण व वाटर पोल लगवाकर अपने कार्यो की इतिश्री तो कर ली लेकिन तैनात कर्मचारियों की लापरवाही के चलते शुद्ध पानी के लिए तरस जाना पड़ रहा है। बताते हैं कि पोलों में पानी तब आता है जब लोग रात में खाना खाकर सो जाते हैं मजबूरन लोगों को देसी हैंडपंपों का ही सहारा रह जाता है। वहीं राहगीरों को अपनी प्यास बुझाने के लिए दुकानों पर भारी कीमत की अदायगी करनी पड़ रही है। इन लोगों ने विभागीय अधिकारियों से इस व्यवस्था को चुस्त दुरूस्त कराने की मांग की है।
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