मतदान को बूथों पर मुस्तैद हुई पोलिंग पार्टियां
जागरण संवाददाता, बरेली: जोश-ओ-खरोश के साथ पोलिंग पार्टियां सोलहवीं लोकसभा के लिए बूथों को रवाना हुईं और रात में पहुंच भी गईं। उसके लिए दोपहर बाद तक नरियावल मंडी में मेला लगा रहा। उसके बाद बूथ गुलजार होने लगे। थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद एक-एक पार्टी के पहुंचने की रिपोर्ट आने लगी। 11960 कर्मचारी सोलहवीं लोससभा के गठन को वोट पड़वाएंगे और भारी भरकम फोर्स व अर्द्धसैनिक बल बूथ रखाएंगे।
बूथों पर रवानगी के लिए नरियावल में मतदान कार्मिकों की भीड़ सुबह सात बसे से ही उमड़ने लगी। नौ विधानसभा क्षेत्रों के लिए अलग-अलग पंडाल में कर्मचारी सूचियों में अपना नाम देखने के बाद ड्यूटियां रिसीव करने लगे। स्टेशनरी और इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन हासिल की। उसके बाद अपनी पार्टी के साथ बैठकर इवीएम चेक करने लगे। कुछ कर्मचारी ऐसे भी थे, जो आखिरी दिन भी ड्यूटी कटवाने के जुगाड़ में लगे रहे। उन्हें माइक से चेतावनी मिलती रही। ड्यूटी कटवाने में सफल नहीं हो सके तो उपस्थिति दर्ज कराने के बाद बूथों के लिए रवाना हो गए। इस दौरान दोनों प्रेक्षकों के साथ जिला निर्वाचन अधिकारी अभिषेक प्रकाश अपनी पूरी टीम के साथ डटे रहे। घूमकर विधानसभावार पंडालों का जायजा भी लिया। बाद में ट्रांसपोर्ट नगर में खड़ी बसों को भी बूथों के लिए रवाना कराया। उपजिला निर्वाचन अधिकारी एवं प्रभारी अधिकारी कार्मिक अरुण कुमार ने बताया कि सभी पार्टियां शाम चार बजे तक निकल गईं। उनके पहुंचने की सूचना भी आने लगी है। अभी 10 फीसद कर्मचारियों को रिजर्व में रोके रखा गया है। ताकि किसी तरह की दिक्कत आने पर उन्हें बूथों पर भेजा जा सके।
सबसे पहले बहेड़ी
बहेड़ी विधानसभा में एक पीठासीन अधिकारी की मौत के बावजूद यहां की पोलिंग पार्टियां सबसे पहले रवाना हुईं। बिथरी चैनपुर, फरीदपुर और आंवला की पार्टियां सबसे बाद में गईं।
मौत के बाद कटी ड्यूटियां
पीठासीन अधिकारी की मौत के बाद बीमार कर्मचारियों को राहत मिल गई। योगेंद्र सिंह, फूलचंद इत्यादि की हालत को देखते हुए मतदान कार्मिक ने उनकी जगह रिजर्व से ड्यूटियां लगा दीं।
गोद में बच्चा, जुबां पर इल्तिजा
-ड्यूटी कटवाने आखिरी दिन भी अफसरों के पीछे लगी रही महिलाएं
मतदान ड्यूटी के लिए महिला कर्मचारी बच्चों के साथ नरियावल मंडी पहुंची। विधानसभा के पंडाल से लेकर जिला निर्वाचन अधिकारी तक एक ही इल्तिजा करती रहीं, सर बच्चा छोटा है, ड्यूटी काट दीजिए। उन्हें सफलता भी मिल गई, जिससे बूथों के लिए महिलाएं कम पड़ गईं।
आयोग के निर्देश हैं कि इस बार हर बूथ पर एक महिला कर्मचारी को लगाया जाए। उसके अनुपालन में प्रशासन ने सभी विभागों की महिलाओं की ड्यूटी लगा दी थी। महिलाएं ड्यूटी के लिए पहुंची तो लेकिन एक दर्जन से ज्यादा ऐसी थीं, जिनकी गोद में बच्चे थे। इस आधार पर ड्यूटी कटवाने का अनुरोध करती घूमती रहीं। वे कभी सहायक रिटर्निग आफीसर तो कभी जिला निर्वाचन अधिकारी के पास आतीं। काफी अनुरोध के बाद ऐसी महिलाओं की ड्यूटी रिजर्व में लगा दी गई। कुछ को छूट भी दी गई। इससे महिलाएं कम पड़ गईं। तब उनकी जगह पुरुषों को ही पोलिंग बूथों के लिए रवाना किया गया।