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Order : जानिए क्यों दर्ज हुआ डीजीपी के आदेश पर बरेली में नवजात को फेंकने का पहला मुकदमा Bareilly News

मजबूरी तो कभी समाज का डर...। वजह कुछ भी हो। नवजात और बच्चों को बेसहारा छोडऩे के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। वो खुशकिस्मत होते हैैं जिन्हें जिंदगी नसीब हो जाती है।

By Abhishek PandeyEdited By: Published: Fri, 18 Oct 2019 08:58 AM (IST)Updated: Fri, 18 Oct 2019 08:58 AM (IST)
Order : जानिए क्यों दर्ज हुआ डीजीपी के आदेश पर बरेली में नवजात को फेंकने का पहला मुकदमा Bareilly News
Order : जानिए क्यों दर्ज हुआ डीजीपी के आदेश पर बरेली में नवजात को फेंकने का पहला मुकदमा Bareilly News

अंकित गुप्ता, बरेली : मजबूरी तो कभी समाज का डर...। वजह कुछ भी हो। नवजात और बच्चों को बेसहारा छोडऩे के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। वो खुशकिस्मत होते हैैं जिन्हें जिंदगी नसीब हो जाती है। जबकि कई तो बेनाम ही दुनिया से चले जाते हैं। मासूमों के परित्याग किए जाने के मामले बढ़े तो प्रदेश पुलिस ने इसके रोकथाम के उपाय तलाशे। पुलिस महानिदेशक की ओर से आदेश जारी किया गया कि 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों व नवजात को छोडऩे वालों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 317 में मुकदमा दर्ज किया जाए। सभी जनपदों के लिए आदेश जारी होने के बाद बरेली में पहला मामला दर्ज हुआ है।

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 परिजनों की तलाश भी करेगी पुलिस

डीजीपी ओपी सिंह ने आदेश जारी किया तो बरेली के सुभाष नगर थाने में पहला मामला भी दर्ज हो गया। एसएसपी शैलेष पांडेय के आदेश पर बीते गुरुवार को श्मशान भूमि में गड्ढे में मटके के अंदर जिंदा दफन मिली बच्ची के मामले में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया। पुलिस उसके परिजनों की तलाश कर रही है।

 सीओ निगरानी कर एसएसपी को देंगे प्रगति

ऐसे मामलों के प्रकाश में आते ही धारा 317 व अन्य सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाएगा। 317 में एक साल की सजा और अगर बच्चे की मौत हो जाती हैै तो धाराएं बढ़ाकर पुलिस आगे की कार्रवाई सुनिश्चित करेगी। इन मामलों की विवेचना सीओ की देखरेख में होगी। सीओ विवेचना की प्रगति से हर दूसरे दिन एसएसपी को अवगत कराएंगे।

सादा वर्दी महिला दारोगा करेंगी बच्चों से संवाद

बच्चे अगर बोलने की स्थिति में हैं तो उनसे महिला दारोगा बातचीत करेंगी। वह भी सादा कपड़ों में रहेंगीं, जिससे बच्चे बिना डरे अपनी बात कह सकें। खुद को सहज समझें। बच्चों के दिए गए बयानों को अक्षरस: दर्ज करना होगा।

 मनोचिकित्सक से लेकर एनजीओ करेंगे सहयोग

ऐसे मामलों में जांच अधिकारी सहयोग के लिए मनोचिकित्सक, शिक्षक-शिक्षिका, कानून विशेषज्ञ, बाल अधिकारी, परामर्शदाता, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, चाइल्ड हेल्पलाइन और समाज सेवी संस्थाओं को बुला सकतीं हैं। इन मामलों की जानकारी पर पुलिस तत्काल मदद पहुंचाने का काम करेगी।

लोगाे को उठाना होगी ऐसे बच्चों की जिम्मेदारी 

नवजात को फेंकने के मामले में अक्सर महिलाओं या परिवारों की मजबूरी सामने आती है। कभी गरीबी तो कभी अविवाहित होने के चलते बच्चों को छोड़ दिया जाता है। यह गलत है, लोगों को जिम्मेदारी लेनी चाहिए। हालांकि चाइल्ड लाइन टीम का प्रयास रहता है कि बच्चों को अभिभावकों तक पहुंचाया जा सके।

-रमनजीत, कोआर्डिनेटर, चाइल्ड लाइन

 बच्चों का परित्याग करने वालों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई है। श्मशान की भूमि पर जो बच्ची मिली थी उस मामले में मुकदमा दर्ज करा दिया गया है। बच्चे के अभिभावकों की तलाश की जा रही है। सभी थानाध्यक्षों को भी इसके लिए निर्देशित कर दिया है।

-शैलेष पांडेय, एसएसपी


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