गुरु आज्ञा पर तोड़ा प्रभु ने शिव धनुष
जागरण संवाददाता, बरेली: सीता स्वयंवर में कोई भी राजा शिव धनुष को तोड़ नहीं सका। यह देखकर राजा जनक बहुत दु:खी हुए। उन्होंने जब क्षत्रियों को ललकारा, तो लक्ष्मण क्रोधित हो गए, लेकिन प्रभु श्रीराम के इशारे पर चुप हो गए। फिर प्रभु श्रीराम ने गुरु विश्वामित्र के निर्देश पर एक ही झटके में शिव धनुष के दो टुकड़े कर दिए।
धनुष के टूटते ही तीनों लोक हिल गए। टंकार से आकाश गुंजायमान हो गया। सारे राजा चकित और राजा जनक प्रसन्न हुए। इसी बीच ऋषि परशुराम आ गए। उन्हें क्रोधित देखकर सभी राजा भयभीत हो गए। उन्होंने आवेश में धनुष तोड़ने वाले को ललकारा। इस पर लक्ष्मण ने उनका विरोध किया। फिर बातों ही बातों में उन्हें प्रभु की वास्तविकता से अवगत कराया। प्रभु को जानकर ऋषि परशुराम उन्हें प्रणाम कर वहां से चले गए। फिर माता सीता ने प्रभु श्रीराम के गले में वरमाला डाली। इसके बाद पूरी जनकपुरी में हर्ष की लहर दौड़ गई। चौधरी तालाब और कटराचांद में यह लीला देख रहे श्रद्धालु भी आनंदित हो गए। इसमें शांतुनु रोहतगी, शिवम वर्मा, उमेश कठेरिया, मुल्ला अफरोज मियां, रामनिवास शर्मा आदि मौजूद रहे।
धूमधाम से निकली राम बरात
सदर कैंट में चल रही रामलीला में बुधवार को शाम चार बजे से प्रभु श्रीराम की बरात निकली। क्षेत्र में जगह जगह लोगों ने पुष्पवर्षा से स्वागत किया। भक्तों ने भगवान के स्वरूपों की आरती कर आशीर्वाद लिया। इसके अलावा सुभाष नगर और जोगी नवादा में भी रामलीला मंचन हुआ।