शहर कुछ सुधरा, देहात में बजबजा रही गंदगी
जागरण संवाददाता, बरेली : दो साल पहले गांधी जयंती पर शुरू किया गया स्वच्छ भारत मिशन अभियान की तस्वीर
जागरण संवाददाता, बरेली : दो साल पहले गांधी जयंती पर शुरू किया गया स्वच्छ भारत मिशन अभियान की तस्वीर ज्यादा सुखद नहीं है। अभियान शहर में तो काफी हद तक प्रभावी दिखा, मगर देहात इससे अछूता रहा। वजह, नौकरशाही। अफसर हों या फिर नेता किसी ने भी अपनी जिम्मेदारी से ईमानदारी से नहीं निभाई। नेता महज फोटो खिंचाने तक ही सीमित रहे। वहीं अफसर इनसे दो कदम आगे निकल गए। फोटो तो उन्होंने भी खिचाए, साथ ही घोटाले कर इस अभियान का गला घोंट दिया। नतीजा देहात में यह अभियान बेअसर रहा। दो साल बाद फिर गांधी जयंती नजदीक है, ऐसे में जिले में अभियान किस हाल पर पहुंचा है, इस पर नजर डालना जरूरी है। शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था बनाने के तमाम फैसले अधिकारियों ने दफ्तरों में बैठकर लिए। उनमें से पचास फीसद फैसले भी जमीन तक पहुंच नहीं पाएं। एक बार दिशा निर्देश देने के बाद अफसर गांव झांकने तक नहीं गए।
शहर के सुधरे हाल
नगर निगम ने शहरी क्षेत्र में सबसे पहले अपने सफाई कर्मचारियों को कूड़ा उठाने की बड़ी जिम्मेदारी से अलग किया। उन पर सिर्फ झाड़ू और नालियों की सफाई का काम छोड़ा। हर घर से कूड़ा उठाने के लिए पांच जोन में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन योजना शुरू की। योजना हालांकि पूरी तरह सफल नहीं हो पाई, लेकिन पचास फीसद तक शहर की कूड़े की समस्या साफ हुई। इसके साथ ही नालों की सफाई, सड़क, चौराहों आदि पर सफाई में पहले से इजाफा हुआ।
ग्रामीण क्षेत्रों के हाल बुरे
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में सफाई का जिम्मा पंचायती राज विभाग के पास है। अधिकारियों ने कस्बों, गांवों में सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने को तमाम फैसले लिए, लेकिन आज भी कई गांव भीषण गंदगी की चपेट में हैं। लोगों की शिकायतें इस बात की रहती है कि सफाई कर्मचारी आते ही नहीं। घरों के आसपास कूड़े के ढेर लगे रहने के बावजूद कर्मचारी उसे उठाने नहीं आता। गंदगी फैलने के कारण गांवों में बीमारियों ने भी घर कर रखा है। गांव के लोगों से शहर के तमाम अस्पताल भरे हुए हैं। शौचालय कहीं बने तो कहीं नहीं। जो बने हैं वो भी मानकों के अनुरूप नहीं हैं। आए दिन जांच में शौचालय घोटाला सामने आ रहा है।
गायब हो गए झाड़ू लेकर दिखाई देने वाले
अभियान के शुरुआत में प्रधानमंत्री के बाद तमाम नेताओं, संगठनों समेत अन्य लोगों ने हाथ में झाड़ू लेकर सफाई करते हुए फोटो सिर्फ अपने चेहरे चमकाने को किए थे। सोशल मीडिया पर भी इन तस्वीरों को खूब वायरल किया गया। आज वे सब लोग गायब हो गए हैं।
स्टेशन चमके, गली-मुहल्ले नहीं
अभियान की शुरुआत में कई मुहल्ले, चौराहे, बड़े नाले, मैदान आदि साफ कराए गए थे। रेलवे जंक्शन, रोडवेज बस स्टैंड, सैटेलाइट स्टैंड समेत अन्य स्थानों पर सफाई का आलम यह था कि हर किसी का ध्यान उसने आकर्षित किया। इन सभी स्टेशनों पर आज दो साल बाद भी सफाई व्यवस्था पुख्ता है। कई मुहल्लों और बड़े नाले पहले की तरह गंदगी से बजबजा उठे हैं।
औपचारिकता निभा रहे स्वच्छता दूत
जिले में स्वच्छता मिशन के सपने को पूरा करने के लिए स्वच्छता दल व स्वच्छता वाहिनी बनाई गई है। स्वच्छता दल में 48 से 70 लोगों को रखा गया था। इसी तरह स्वच्छता वाहिनी में 15 से 20 महिलाएं हैं। इनका काम स्वच्छता के प्रति लोगों में जागरुकता बनाए रखना है। शुरुआत में तो इन दूतों ने पूरे मनोयोग से काम किया। धीरे-धीरे उनका भी काम ढीला पड़ता गया। अब सिर्फ औपचारिकता मात्र ही बची है।