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थाना जलाने वालों में सिर्फ दस की शिनाख्त

जागरण संवाददाता, बरेली : कैंट थाना फूंकने के मामले में पांच महीने बाद पुलिस सिर्फ दस बवालियों पर चार

By Edited By: Published: Mon, 30 May 2016 11:06 PM (IST)Updated: Mon, 30 May 2016 11:06 PM (IST)

जागरण संवाददाता, बरेली : कैंट थाना फूंकने के मामले में पांच महीने बाद पुलिस सिर्फ दस बवालियों पर चार्जशीट दाखिल कर सकी। सैकड़ों बवाली पुलिस की गिरफ्त से दूर खुलेआम घूम रहे हैं। तब जबकि पुलिस के पास सैकड़ों बवालियों के फोटो मौजूद थे। वहीं मामले को लेकर डीआइजी ने एसपी सिटी को पूछताछ के लिए तलब किया है।

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बता दें कि 11 नवंबर दीपावली के दौरान जुआ खेले जाने की सूचना पर संतमणि मुहल्ले में सिपाही प्रदीप तोमर व संदीप चौहान ने दबिश दी थी। फड़ पर पकड़े जाने के डर से जुआरियों में भगदड़ मच गई थी। बचने के लिए आजाद मुहल्ला निवासी आतिश व दिनेश नकटिया नदी में कूद गए थे। डूबने से उनकी मौत हो गई थी। घटना से आक्रोशित सैकड़ों की संख्या में भीड़ ने कैंट थाना घेरकर पुलिस पर पथराव किया था। पुलिस ने जब हवाई फाय¨रग की तो थाने में आग लगा दी गई थी। मौके पर पहुंचे तत्कालीन एसएसपी धर्मवीर यादव ने हालात पर काबू पाया। शिकायत मिलने पर सिपाही प्रदीप व संदीप को सस्पेंड कर पूरे मामले की जांच तत्कालीन सीओ संतोष सिंह को सौंप दी गई थी। तत्कालीन इंस्पेक्टर सूर्यनाथ सिंह तहरीर पर 12 नामजद व 300 अज्ञात पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज लिया। हजारों फोटो से खुराफातियों की पहचान की कोशिश की। पुलिस ने दस नामजद आरोपियों को जेल भेज दिया। इस दौरान पूरी जांच फिर कोतवाली इंस्पेक्टर सुधीर पाल धामा को सौंप दी गई। इस दौरान उन पर कई आरोपियों को बचाने के आरोप भी लगे। तब सीओ को जांच दी गई। वहीं घटना के पांच महीने बीत जाने के बाद सैकड़ों फोटो में से पुलिस एक भी बवाली को पहचान नहीं सकी और सिर्फ दस के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी।


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