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मौत से मुकाबले को सब दौड़े, ¨हदू क्या मुसलमान

जागरण संवाददाता, बरेली : वो मौत से मुकाबला था। जलते घर को बचाने के लिए हर कोई उधर दौड़ पड़ा। क्या ¨हदू

By Edited By: Published: Sat, 30 Apr 2016 02:03 AM (IST)Updated: Sat, 30 Apr 2016 02:03 AM (IST)
मौत से मुकाबले को सब दौड़े, ¨हदू क्या मुसलमान

जागरण संवाददाता, बरेली : वो मौत से मुकाबला था। जलते घर को बचाने के लिए हर कोई उधर दौड़ पड़ा। क्या ¨हदू और क्या मुस्लिम ़ ़ ़हर किसी को फिक्र बस उस घर की थी जिसमें आग की ऊंची लपटें निकल रहीं थी। जो इस परिवार को नहीं जानते थे, वे भी जुट गए। लाल गुबार से जूझते रहे।

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किला छावनी में घर राजू का जल रहा था, पानी का इंतजाम करने को चीख सिराज रहे थे। साजिद और नासिर की जुबां पर बार-बार यही कह रही थी ़ ़ ़जल्द फायर बिग्रेड को फोन करो, देखो अंदर तो कोई नहीं है। इन जैसे कई युवा आग पर काबू पाने की कोशिश में लगे हुए थे। सबकी एक ही कोशिश कि किसी तरह आग पर काबू हो जाए। सबकी एक ही फिक्र कि घर के अंदर कोई चपेट में न आ गया हो। एक घंटे से ज्यादा वक्त तक वे आग पर काबू पाने की कोशिश में लगे रहे। तब भी, जब दमकल की टीम आ गई थी। कभी उन्हें रास्ता बताने की कोशिश करते तो कभी पानी का पाइप पहुंचाने की जुगत बताते। इतना ही नहीं आग के बीच से सामान निकालने के दौरान किला थाने में तैनात एक सिपाही का हाथ भी झुलस गया।


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