'सियासत में नहीं आया, यह मुलायम की मुहब्बत का सिला है..'
जागरण संवाददाता, बरेली : साहित्य कोटे से एमएलसी मनोनीत हुए अंतरराष्ट्रीय शायर वसीम बरेलवी अब भी ख
जागरण संवाददाता, बरेली : साहित्य कोटे से एमएलसी मनोनीत हुए अंतरराष्ट्रीय शायर वसीम बरेलवी अब भी खुद को सियासतदां नहीं मानते। कहते हैं, कौमी एकता को अपनी कलम के बलबूते ताउम्र प्रोत्साहित करने का अदब मिला है। एमएलसी बना तो क्या, शायरी के जरिये मोहब्बत फैलाना जारी रखूंगा। सरकार की खास मेहरबानी और अपनी तमन्ना को उन्होंने इस शेर के सहारे रखा- 'हमको महसूस किया जाए खुशबू की तरह, हम कोई शोर नहीं जो सुनाई देंगे..।'
मूलरूप से बरेली के रहने वाले प्रो. वसीम बरेलवी ने दैनिक जागरण से बातचीत में सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव दिल खोलकर तारीफ की। बोले, अचानक फोन के जरिये मनोनयन की जानकारी मिली। आजतक कुछ भी किसी से मांगा नहीं। कलम को जो अदब दिया गया है, उसके लिए शुक्रिया। विधान परिषद सदस्य बनने पर खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। हालांकि उन्होंने पार्टी की विचारधारा से जुड़ने से इन्कार करते हुए कहा-उनकी व्यक्तिगत विचारधारा या कलम पर कोई बंदिश नहीं लगी है। सपा प्रमुख से व्यक्तिगत संबंध हैं।
उन्होंने कहा कि सियासत में बहुत पहले आ सकता था, लेकिन सामाजिक सद्भावना के लिए खुद को समर्पित रखा। जिंदगी भर की यही कमाई है। इसे खोना नहीं चाहता।
कुछ कहने का नया मंच मिला है, कैसे करेंगे? बोले, बरेली, प्रदेश और देश की तमाम समस्याएं महसूस करता हूं, जिनको जड़ से खत्म करने की तमन्ना है। एमएलसी बनने के बाद अगर किसी परेशानी का हल करा सका तो खुद को खुशकिस्मत समझूंगा। बरेली और यहां के लोगों के विकास-उत्थान के लिए जो संभव होगा, हर हाल में करेंगे। बता दें, वसीम बरेलवी पिछले कुछ वक्त से सपा के मंचों पर खूब दिखे। तब भी उनके सियासत में आने की चर्चाएं गर्म हुईं। उस दौरान भी वे हमेशा मुलायम कुनबे से अपने संबंधों की दुहाई देकर सियासत में उतरने से इन्कार करते रहे।