बरेली कॉलेज विधि विभाग की मान्यता पर भूचाल
जागरण संवाददाता, बरेली : बरेली कॉलेज के विधि विभाग की बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) से मान्यता समाप
जागरण संवाददाता, बरेली : बरेली कॉलेज के विधि विभाग की बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआइ) से मान्यता समाप्त होने का मामला खुलने के बाद बरेली कॉलेज से लेकर रुहेलखंड विश्वविद्यालय तक खलबली मच गई। कॉलेज प्रशासन अपनी गर्दन बचाने में लगा है। मामला संज्ञान में आते ही विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी आनन-फानन में कॉलेज की पत्रावलियों की जांच कराने के निर्देश जारी कर दिए हैं। वहीं मामला बीसीआइ तक भी पहुंच गया है। चूंकि बीसीआइ से पांच साल से कॉलेज को मान्यता नहीं है तो सैकड़ों छात्रों की डिग्रियों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। अगर बीसीआइ मान्यता पर हाथ खड़े करता है सैकड़ों छात्रों का भविष्य अधर में लटक जाएगा। फिलहाल मामले को लेकर खलबली मची हुई है। कॉलेज प्रशासन बीच का रास्ता खोजने में लगा है। वहीं विश्वविद्यालय प्रशासन भी इस लपेटे में आएगा क्योंकि इतने सालों से विवि प्रशासन बिना पत्रावलियां देखे विधि की परीक्षा बरेली कॉलेज में करा रहा है।
छह जजों की जजी खतरे में
2011 के बाद बरेली कॉलेज से छह जज बने हैं। इसमें एक उत्तराखंड में तैनात है और बाकी यूपी में हैं। बरेली कॉलेज की 2011 के बाद बीसीआइ से मान्यता नहीं है। इस लिहाज से जो भी इन सालों में डिग्रियां जारी हुई वो अपने आप ही बिना मान्यता की हो जाती हैं। अगर मामला तूल पकड़ता है तो तैनात इन जजों की जजी खतरे में होगी। वहीं सैकड़ों छात्रों की डिग्रियां भी बिना मान्यता की हो जाएंगी।
मोटी पेनाल्टी या फिर कॉलेज का डिपार्टमेंट ही खतरे में
विशेषज्ञों की माने तो बीसीबाइ तीन साल की मान्यता देता है जबकि बरेली कॉलेज के मामले में समय चार साल से ज्यादा हो गया है। ऐसे में पेनाल्टी किस आधार पर पड़ेगी। उनका मानना है कि कॉलेज का विधि विभाग खतरे में है। बीसीआइ के निर्णय पर ही अब सबकुछ निर्भर है।
वर्जन
मामला संज्ञान में आया है। कॉलेज की पत्रावलियों की जांच कराई जाएगी। उसके बाद ही कुछ निर्णय लिया जाएगा।
-साहब लाल मौर्या, कुलसचिव रुहेलखंड विश्वविद्यालय
मामला बेहद पेचीदा है। अगर कॉलेज ने मान्यता रिन्यू नहीं कराई तो उन डिग्रियों पर भी सवाल खड़ा होता है जो इन सालों में दी गई। बीसीआइ तीन साल की ही मान्यता देता है जबकि बरेली कॉलेज को इससे ज्यादा वक्त हो गया है। कॉलेज प्रशासन ने संपर्क किया था। समाधान को मंथन चल रहा है।
-श्रीश मेहरोत्रा, सदस्य यूपी बार काउंसिल व सदस्य कॉलेज इंस्पेक्शन कमेटी