खत से ई-खत तक जारी है सफर..
जागरण संवाददाता, बरेली : भारतीय डाक विभाग, सैकड़ों सालों से हमारे दिलों में अपना अलग ही मुकाम बनाए
जागरण संवाददाता, बरेली : भारतीय डाक विभाग, सैकड़ों सालों से हमारे दिलों में अपना अलग ही मुकाम बनाए हुए है। दरवाजे पर डाकिये की साइकिल की घंटी बजते ही घर में खुशी का माहौल बन जाता था। डाकिये द्वारा दिए गए कागज के उस टुकड़े से अपनों के जज्बात जुड़े होते थे। बधाई देने की बात हो या फिर अपनों की खैर पूछना, बार्डर पर खड़े जवानों से लेकर अपनों से दूर रह रहे हर सख्स को खत का इंतजार हमेशा रहता था। संदेश भेजने का सबसे लोकप्रिय साधन डाक विभाग ने लोगों के दिलों पर राज किया।
सूचना क्रांति के दौर में डाक सेवाओं से लोगों की दूरी जरूर बनी, लेकिन आज डाक विभाग ने खुद को मजबूती के साथ आगे बढ़ाया है। बात चाहें खतों का बदला स्वरूप ई-डाक हो या बैंकिंग सेवाओं की। दर्जनों योजनाओं के माध्यम से पिछले कुछ सालों में डाक विभाग ने खोई हुई लोकप्रियता को पाने की मजबूत कोशिश की है। पिछले कुछ सालों की बात करें तो डाक विभाग की बैंकिंग सेवाओं का दायरा बढ़ा है। बात चाहें छोटी बचत की हों या फिर बचत खातों की। ऑनलाइन सेवाएं शुरू होने से पढा लिखा तबका भी डाक सेवाओं की ओर बढ़ा है।
डाक सेवाओं से बैंकिंग सुविधाओं तक
शुरूआत में पोस्ट ऑफिस को खत भेजने, मनी आर्डर, रजिस्ट्री और स्पीड पोस्ट के लिए ही डाक विभाग की पहचान थी। अब बैंकिंग सेवाएं शुरू होने के बाद डाक विभाग का स्वरूप ही बदल गया। 2013 से बरेली में डाक विभाग ने बैंकों की तर्ज पर कोर बैकिंग सेवा शुरू कर दी। जिसका दायरा लगातार बढ़ रहा है। बरेली में ही बीस फीसद की ग्रोथ हो रही है। हालांकि पोस्ट कार्ड की ब्रिकी का स्तर लगातार घटता जा रहा है। लाखों में बिकने वाले पोस्ट कार्ड की संख्या आज हजारों में ही सिमट कर रह गई है। बरेली में अब प्रतिमाह पांच हजार पोस्ट कार्ड ही बिकते हैं।
आधुनिक चोला ओढ़ने की तैयारी
भारतीय डाक विभाग भी अन्य विभागों की तरह आधुनिकता का चोला ओढ़ने जा रहा है। कोर बैकिंग सेवाओं के लिए डाक विभाग सभी शाखाओं को ऑनलाइन करने की तैयारी में है। इसमें गांव की ब्रांच भी शामिल हैं। गांवों में ही भी स्पीड पोस्ट की सुविधा के साथ कोर बैंकिंग की सुविधा मिल जाएगी। इसके लिए ग्रामीण पोस्ट ऑफिस को गए इलेक्ट्रॉनिक गजट दिया जाएगा। पोस्ट कार्ड की जगह ई-पोस्ट की सुविधा शुरू की है। जिसके माध्यम से दस रुपये में अपना संदेश पूरे भारत में भेज सकते हैं। इसके साथ ही मनी आर्डर की जगह ई-मनी आर्डर की सुविधा है।
भारत में डाक सेवाओं का आगाज
भारत में अंग्रेजों के शासनकाल में डाक सेवाएं 1858 के बाद शुरू हई। 1861 में करीब 43 मिलियन पत्र भेजे जाते थे। उस समय भारत में 889 पोस्ट ऑफिस थे। 1870 में पहली बार पोस्ट ऑफिस सुपरीटेंडेंट नियुक्त किया गया। 1882 में पोस्ट ऑफिस सेविंग बैंक मद्रास में खोली गई। बीमा की शुरूआत 1884 में शुरू हुई। फरवरी 1911 में हवाई डाक सेवा शुरू हुई। 1955 में मनी आर्डर की सेवा शुरू की गई। बरेली में 1969 में पहला पोस्ट ऑफिस सुपरीटेंडेंट नियुक्त किया गया। दि पोस्टल इंडेक्स नंबर यानी पिन कोड छह अंकों का यह कोड पंद्रह अगस्त 1972 को शुरू किया गया था। भारत में करीब 154725 पोस्ट ऑफिस हैं।
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बरेली मंडल डाक विभाग एक नजर में(मंडल में बरेली पीलीभीत जिला शामिल हैं )
मंडल में कर्मचारी : करीब एक हजार
मंडल के ग्रामीण क्षेत्रों में कर्मचारी : करीब छह सौ
बरेली में शाखाएं : 52
ग्रामीण क्षेत्र में शाखाएं: 235
कोर बैंकिंग सुविधा की शाखाएं : 13
पीलीभीत में शाखाएं : 14
ग्रामीण क्षेत्र में शाखाएं : 130
कोर बैंकिंग वाली शाखाएं : 3
मंडल में बैकिंग सेवाओं के ग्राहक : 1134214
मंडल में इस वित्तीय वर्ष में अबतक लेनदेन : 82 करोड़
पोस्ट कार्ड की स्थिति
बरेली में प्रतिमाह औसतन : पांच हजार
पीलीभीत में प्रतिमाह औसतन : ढ़ाई हजार
संदेश भेजने के माध्यम
साधारण पोस्ट कार्ड,ई-पोस्ट, रजिस्ट्री, स्पीड पोस्ट, अंतरदेशीय पत्र, लिफाफा, मीडिया पोस्ट
बैकिंग सेवाएं और बचत योजनाएं
सुकन्या योजना, किसान विकास पत्र,राष्ट्रीय बचत पत्र,पंद्रह वर्षीय लोक भविष्य निधि खाता,आवर्ती जमा खाता, वरिष्ट नागरिक बचत पत्र, आरडी, मासिक बचत स्कीम,पीपीएफ,राष्ट्रीय बचत पत्र, बचत खाता।
पैसे भेजने के माध्यम
इलेक्ट्रॉनिक मनी आर्डर, विदेशी मनी आर्डर,वेस्टर्न यूनियन मनी ट्रांसफर
बीमा योजनाएं
संपूर्ण जीवन बीमा , मियादी जीवन बीमा, परिवर्तनीय संपूर्ण जीवन बीमा, प्रत्याशित सावधि बीमा, ग्रामीण डाक जीवन बीमा
सुकन्या योजना के तहत खुले 25 हजार खाते
सुकन्या समृद्धि खाता के तहत डाक विभाग अब तक 25 हजार खाते खोल चुका है। इस योजना के तहत साल में कम से कम एक हजार और अधिकतम डेढ लाख रुपये जमा किए जा सकते हैं। 9.1 फीसद ब्याज मिलता है। 18 साल बाद उच्च शिक्षा के लिए पचास फीसद तक राशि निकाली जा सकती है। 21 साल बाद पूरा पैसा निकाला जा सकता है।
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सोशल मीडिया का दायरा बढ़ने के साथ खत भेजने का स्तर काफी कम हो गया है। महज कुछ लेाग ही पोस्ट कार्ड खरीदते हैं। डाक विभाग अब पूरी से नए क्लेवर में आने के प्रयास है। इसलिए बैंकिंग और ऑनलाइन सेवाओं पर अधिक जोर दिया जा रहा है। शहर से लेकर गांव तक की ब्रांच में ऑनलाइन सेवाएं प्रदान कराने का प्रयास चल रहा है।
-रामेश्वर दया, प्रवर अधीक्षक मुख्य डाकघर बरेली