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बॉयो मेडिकल वेस्ट को लेकर निगम सख्त

- नगर निगम को सूचनाएं नहीं दे रहे अस्पताल, गायब हो रहा प्लास्टिक - शहर में दो स्थानों पर चल रहे ह

By Edited By: Published: Fri, 22 May 2015 01:00 AM (IST)Updated: Fri, 22 May 2015 01:00 AM (IST)
बॉयो मेडिकल वेस्ट को लेकर निगम सख्त

- नगर निगम को सूचनाएं नहीं दे रहे अस्पताल, गायब हो रहा प्लास्टिक

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- शहर में दो स्थानों पर चल रहे हैं ट्रीटमेंट प्लांट, आ रहा घरेलू वेस्ट

जागरण संवाददाता, बरेली : शहर में बॉयो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण को लेकर नगर निगम प्रशासन सख्त हो गया है। मेडिकल वेस्ट की सूचनाएं निगम तक नहीं पहुंचने पर उनके खिलाफ कार्रवाई का मन बनाया गया है। बुधवार को महापौर ने आइएमए और नीमा को पत्र भेजकर सभी अस्पतालों से मेडिकल वेस्ट के निस्तारण संबंधी जानकारी भिजवाने के निर्देश दिए हैं।

शहर में खतरनाक मेडिकल वेस्ट का निस्तारण निजी अस्पताल नहीं कर रहे हैं। मेडिकल वेस्ट से संक्रमित प्लास्टिक वेस्ट गायब होने की समस्या बढ़ती जा रही है। यह संक्रमित प्लास्टिक दोबारा लोगों के हाथों में खिलौनों समेत अन्य वस्तुओं के रूप में वापस आ रहा है, जो भविष्य में बड़े खतरे को दावत दे रहा है। बावजूद इसके अस्पताल प्रबंधन चेत नहीं रहे। वे नगर निगम को भी सूचनाएं नहीं दे रहे। मेडिकल वेस्ट के निस्तारण की सूचनाएं नहीं मिलने पर महापौर सख्त हो गए हैं। उन्होंने आइएमए और नीमा (नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन) को पत्र भेजने के निर्देश अधिकारियों को दिए। सभी अस्पतालों को कड़ी चेतावनी देकर सूचनाएं देने को कहा है।

कम क्षमता के प्लांट पर भार ज्यादा

बॉयो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए शहर में दो ट्रीटमेंट प्लांट लगे हैं। एक नगर निगम की भूमि पर बेनीपुर चौधरी में लगा है। यहां लखनऊ की एसएनजी कंपनी मेडिकल वेस्ट निस्तारित कर रही ही। उनके पास 104 अस्पतालों की जिम्मेदारी है। वहां सौ किलोग्राम के इंसीनीरेटर (भट्ठी) लगी है। वहीं, एक अन्य निजी प्लांट परसाखेड़ा में इनविराड नाम से हैं। इस प्लांट की क्षमता करीब 50 किलोग्राम की है, जबकि यहां कई अस्पतालों का भार है। इन प्लांटों में मेडिकल वेस्ट को निस्तारण से पहले ऑटो क्लेव यानी भाष्पीकरण से इंफेक्शन मुक्त किया जाता है। इसके बाद बचे हुए प्लास्टिक या अन्य वेस्ट को छोटे-छोटे टुकड़ों में कर लिया जाता है।

बैड की संख्या भी नहीं बता रहे सही

अधिकारियों के मुताबिक शहर में करीब सवा चार सौ से अधिक छोटे-बड़े अस्पताल, नर्सिग होम हैं। ट्रीटमेंट प्लांटों के कर्मचारी सभी अस्पतालों से मेडिकल वेस्ट लेकर उसे निस्तारित करते हैं। अस्पतालों से कंपनी वालों को प्रति बेड के हिसाब से भुगतान होता है। इस कारण अस्पतालों में बेड की संख्या सही नहीं बताई जा रही। वहां से नगर निगम को भी गलत संख्या बताई जाती है।

प्लास्टिक के बदले जनरल कूड़ा

शहर के अस्पतालों से निकलने वाले मेडिकल वेस्ट में अन्य तमाम तरह का कूड़ा भी मिल रहा है। यह वेस्ट मेडिकल का नहीं होने के कारण कंपनी वाले इसे नहीं ले रहे हैं। उनका कहना है कि मेडिकल वेस्ट में सामान्य कूड़ा मिलने के कारण उन्हें बेवजह उसका निस्तारण करने से नुकसान हो रहा है।


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