पढ़ने दो बेटियां, मत डालो पैरों में बेड़ियां
-आधी आबादी बोली, समय के साथ बदलनी चाहिए पुरुषों को सोच -शिक्षित होंगी महिलाएं तभी बदलेगा समाज का स
-आधी आबादी बोली, समय के साथ बदलनी चाहिए पुरुषों को सोच
-शिक्षित होंगी महिलाएं तभी बदलेगा समाज का स्वरूप, बढ़ेगा परिवार
जागरण संवाददाता, बरेली : समाज के बदलते स्वरूप में महिलाएं पुरुषों के कांधे से कांधा मिलाकर आगे बढ़ रही हैं। उनके अधिकारों को लेकर विश्वव्यापी चर्चा हो रही है। ऐसे में बरेली कालेज से एक युवती को परीक्षा देते समय खानदानी रीति रिवाज का हवाला देकर उठा ले जाने की तीखी प्रतिक्रिया हुई है। सभी ने सख्त अल्फाज में इसे गलत करार दिया। नसीहत दी कि पढ़ने दो बेटियां, मत डालो बेड़ियां।
रोकना गैर मुनासिब
बरेली कॉलेज की छात्रा सबा खान का कहना है कि समाज में लड़कियों को ही पढ़ने और आगे बढ़ने से रोका जाता है जबकि आज महिलाएं हर क्षेत्र में पुरुषों से कम नहीं है। यही मानना सहरीश हुसैन का है। समाज में महिलाओं को सशक्त करना है तो पहले उनको शिक्षित करना होगा।
छात्रा में थी पढ़ने की ललक
पुराने शहर की रहने वाली छात्रा में पढ़ने की ललक शादी के बाद भी कम नहीं हुई। शहर के एक प्रतिष्ठित कांवेंट स्कूल से उनसे इंटर किया था। कक्षा में उसका प्रदर्शन शानदार था। बरेली कॉलेज से बीकॉम किया। इसमें भी वह फर्स्ट डिवीजन रही। पढ़ने की ललक शादी के बाद भी कायम रही। बंदिश के बावजूद परीक्षा के लिए गुरुवार को बरेली कॉलेज पहुंच गई।
बदलनी होगी सोच
इस्लाम में महिलाओं की तालीम पर हमेशा जोर दिया गया है। महिलाएं तालीमयाफ्ता होंगी तभी समाज में मुकाम हासिल कर सकेगी। आज भी लोग लड़कियों को स्कूल भेजने से कतराते हैं। वक्त आज बिल्कुल बदल चुका है। लोगों को अपनी सोच बदलनी होगी।
-शब्बू मियां नियाजी, प्रबंधक खानकाह नियाजिया
समाज में महिला सशक्तिकरण की बात की जाती है, क्या बिना शिक्षित किए उनको सशक्त बनाया जा सकता है। आज महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी भागीदारी बढ़ा रही हैं, फिर भी समाज में महिलाओं को शिक्षा से दूर किया जा रहा है।
-डॉ. वंदना शर्मा, शिक्षिका बरेली कॉलेज
समाज में आज भी ऐसे लोग हैं जो लड़कियों की शिक्षा को सही नहीं मानते हैं, आखिर क्यों। पढ़ी लिखी लड़की पूरे परिवार को शिक्षित करती है। समाज में ऐसे लोगों को अपनी सोच बदलनी होगी। बाहर निकलना होगा ऐसी रूढ़ीवादी परंपराओं से।
-शबीना परवीन, शिक्षक बेसिक शिक्षा
कोई भी धर्म महिलाओं को तालीम हासिल करने से नहीं रोकता। तालीम से ही महिलाएं अपने अधिकारों को हासिल कर सकती हैं। समाज में आज भी महिलाओं को दबा कुचला समझा जाता है। पुरुष वर्ग नहीं चाहता महिलाएं पढ़ें और आगे बढ़ें।
-सहरीश हुसैन
मेरे हिसाब से लड़कियों से पहले लड़कों को शिक्षित करना चाहिए ताकि वो शिक्षा का महत्व समझ सकें। जबतक वो शिक्षा का महत्व नहीं जानेंगे तब तक वो महिलाओं के लिए शिक्षा का महत्व नहीं समझ सकते।
-सबा खान
शिक्षित होने के बाद ही जीवन जीने का सलीका आता है। यह जरूरी नहीं कि पढ़ लिखकर केवल नौकरी की जाए, सामाजिक विकास में भी महिलाओं का शिक्षित होना जरूरी है। महिलाओं की शिक्षा को लेकर समाज को अपनी सोच बदलनी होगी।
- बुद्धी मिश्रा, डीपीओ
महिलाएं पढ़ी लिखी होंगी तो वह अपने अधिकारों की बात भी करेंगी। पुरुष प्रधान समाज यह नहीं चाहता। महिलाओं की शिक्षा को लेकर समाज को अपना यह रवैया बदलना चाहिए। कब तक महिलाओं को सामाजिक बेड़ियों में बांधकर रखा जाएगा।
-इंदू सेठी, बीजेपी महानगर अध्यक्ष
जब एक महिला शिक्षित होती है तो उसका लाभ पूरे परिवार को मिलता है। उत्पीड़न और शोषण के खिलाफ आवाज उठाने की ताकत भी शिक्षित होने से ही मिलती है। महिला सशक्तिकरण का सपना तभी पूरा होगा जब देश की हर महिला शिक्षित होगी।
-नीतू मेहरोत्रा, कांग्रेस