गांव में शुरू हुई मरीजों की तलाश
जागरण संवाददाता, बरेली: फर्जी प्रेरक प्रमाण पत्र मामले में जांच शुरू हो चुकी है। सीएमओ ने आशा बहू से
जागरण संवाददाता, बरेली: फर्जी प्रेरक प्रमाण पत्र मामले में जांच शुरू हो चुकी है। सीएमओ ने आशा बहू से पहले मरीजों को तलाशने के निर्देश दिए हैं, क्योंकि उन्हें प्रमाण पत्र पर दर्ज मरीजों के नाम पर ही शक है। उनका मानना है कि लक्ष्य पूर्ति के लिए बिना नसबंदी कराए ही यह फर्जी प्रमाण पत्र तैयार किए गए हैं।
सीएमओ डॉ. विजय यादव ने बताया कि मामले की जांच मरीजों की तलाश से शुरू की गई है। गांव में प्रमाण पत्र पर दर्ज मरीज मिल जाए, तो सीधे ही उनसे ही पूछा जाएगा। उनका प्रेरक कौन है? जिसकी सलाह पर उन्होंने नसबंदी कराई है। फिर उस आशा बहू से ही आगे की पूछताछ की जाएगी, जिससे पूरे मामले पर्दाफाश हो सके, क्योंकि जब से आशा बहू के लिए भी नसबंदी कराना अनिवार्य किया गया है। वह परेशान है। हो सकता है कि लक्ष्य पूर्ति दिखाने के लिए ही सिर्फ प्रेरक प्रमाण पत्र बनवाए गए हों, लेकिन यह भी एक गंभीर अनियमितता है। प्रति प्रेरक डेढ़ सौ रुपये मिलते हैं।
वित्तीय अनियमितता का संदेह
फर्जी प्रेरक प्रमाण पत्र मिलने से वित्तीय अनियमितता की संभावनाओं को भी बल मिल रहा है। विभागीय अधिकारी इसमें पूरा गिरोह सक्रिय होने का संदेह जता रहे हैं, इसलिए पहले मरीजों की तस्दीक कराई जाएगी, जिससे पूरा गिरोह पकड़ा जा सके।
यह है मामला
20 अक्टूबर को जिला महिला अस्पताल की सीएमएस ने सीएमओ को एक शिकायत भेजी, जिसमें उन्होंने तीन प्रेरक प्रमाण पत्र भेजे। उन्होंने तीनों प्रमाण पत्र फर्जी होने का दावा किया है। साथ ही मांग की कि प्रमाण पत्र बनाने वाली आशा बहू की शिनाख्त कराई जाए, क्योंकि वह भीड़ का फायदा उठाकर मौके से फरार हो गई है।