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पीएचडी पर शासन सख्त

By Edited By: Published: Thu, 28 Aug 2014 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 28 Aug 2014 01:00 AM (IST)
पीएचडी पर शासन सख्त

जागरण संवाददाता, बरेली : पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया को लेकर शासन ने भी सख्त रुख अपनाया है। विश्वविद्यालय से जवाब तलब किया है कि आखिर पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया को लेकर उदासीनता क्यों बरती जा रही है? जल्द प्रवेश प्रक्रिया शुरू करने के साथ ही उन कारणों को भी पूछा है जिसके कारण मामला अधर में लटका है।

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रुहेलखंड विश्वविद्यालय में पिछले कई सालों से पीएचडी बंद पड़ी थी। इस साल ही प्रक्रिया शुरू हुई मगर रफ्तार नहीं पकड़ सकी। 31 जुलाई तक नए आवेदन मांगे गए थे। वहीं कॉलेजों से शिक्षकों को ब्योरा भी मांगा गया ताकि सीटों का आंवटन सुनिश्चित किया जा सके।

सूत्रों की माने तो यह ब्योरा भी विश्वविद्यालय को पूरी तरह से प्राप्त नहीं हो सका। चूंकि, शासन ने प्रोफेसर के अंडर आठ की जगह छह और रीडर के अंडर छह की जगह चार अभ्यर्थियों को ही पीएचडी करने की अनुमति दी है। इससे सीटें भी काफी कम हो गई हैं। एक तरफ शिक्षकों की संख्या का पेंच फंस रहा है, वहीं प्रवेश परीक्षा वाले और नए आवेदन का मामला फंसा है। प्रवेश परीक्षा वाले अभ्यर्थी नए आवेदनों का विरोध कर रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार, विश्वविद्यालय नेट और जेआरएफ वाले अभ्यर्थियों को वरियता देने के मूड है। अगर ऐसा होता है तो प्रवेश परीक्षा वाले सैकड़ों अभ्यर्थियों के लिए मुसीबत खड़ी हो जाएगी। इसी मामले को लेकर सैकड़ों अभ्यर्थियों ने शासन को ज्ञापन भेजा था। उसी पर शासन ने विश्वविद्यालय से जवाब तलब किया कि पीएचडी विलंब से शुरू क्यों की जा रही।


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