तकनीक का कमाल, बांझ बछिया जीवन भर देती रहेगी दूध
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. एके सिंह का दावा है कि गाय में पोषक तत्वों की कमी न हुई तो गाय जीवन भर दूध देती रहेगी।
बाराबंकी (दीपक मिश्र)। पशुपालन विभाग बाराबंकी के पशु विशेषज्ञ डॉ. एसपी सिंह ने एक बांझ बछिया पर इंडीयूज्ड लैक्टेशन (हार्मोंस द्वारा दूध उत्पादन) का प्रयोग कर उसे दुधारू बनाने में सफलता हासिल की है। बछिया बिना गर्भाधान के ही दो वर्षों से 6 से 8 लीटर दूध दे रही है। अन्य बांझ गायों में भी इस का इस्तेमाल कर सफलता हासिल की जा सकती है।
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. एके सिंह का दावा है कि गाय में पोषक तत्वों की कमी न हुई तो गाय जीवन भर दूध देती रहेगी। गाय का दूध पूरी तरह से पौष्टिक है। विकास खंड मसौली के ग्राम नेवादा निवासी शिवशंकर के यहां एचएफ नस्ल की बछिया करीब पांच वर्ष की हो चुकी थी।
चिकित्सकों ने काफी इलाज किया लेकिन वह गर्भवती नहीं हो पाई। पशु विशेषज्ञ डॉ. एसपी सिंह ने गाय का चेकअप किया तो पता चला कि यह गाय अब कभी भी मां नहीं बन सकती। उन्होंने इस पर प्रयोग शुरू कर दिया जो कि कामयाब रहा।
सर्दियों में होता है तकनीक का प्रयोग: पशु विशेषज्ञ डॉ. एसपी सिंह ने बताया कि गाय पर इंडीयूज्ड लैक्टेशन (हार्मोंस द्वारा दूध उत्पादन) का प्रयोग सर्दियों के मौसम में ही होता है। हमने सबसे पहले गाय के पेट में मौजूद कीड़ों को मारने की दवा दी। उसके बाद खनिज लवण और विटामिंस का मिश्रण 20 से 25 दिन तक चलाया गया जिससे गाय में जो पोषण की कमी थी, दूर हो गई।
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नैनीताल से हुई थी शुरुआत: इंडीयूज्ड लैक्टेशन (हार्मोंस द्वारा दूध उत्पादन) विधि का इस्तेमाल पहले भी होता रहा है। बांझ गाय पर इंडीयूज्ड लैक्टेशन (हार्मोंस द्वारा दूध उत्पादन) का प्रयोग 1987 में गोविंद बल्लभ पंत विश्वविद्यालय पंतनगर में डॉ. वाइपीएस एवं डॉ. एसी सूद ने 35 दिनों तक करने के बाद सफलता हासिल की थी। यही सफलता बाराबंकी के पशु चिकित्सकों ने दोहराई है। इससे पहले विदेश में जो प्रयोग हुए थे उनमें बांझ गाय से दूध निकलने में छह माह लग जाते थे।
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