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'शामे फिराक अब न पूछ, आइए और आके चले जाइए',

बाराबंकी : सोमवार को सांस्कृतिक पंडाल में आकाशवाणी की कलाकार डॉ. मालविका हरिओम ने अपनी सूफी गजलों से

By Edited By: Published: Tue, 25 Oct 2016 12:28 AM (IST)Updated: Tue, 25 Oct 2016 12:28 AM (IST)
'शामे फिराक अब न पूछ, आइए और आके चले जाइए',

बाराबंकी : सोमवार को सांस्कृतिक पंडाल में आकाशवाणी की कलाकार डॉ. मालविका हरिओम ने अपनी सूफी गजलों से लोगों का मन मोह लिया। सबसे पहले उन्होंने नसीब साहब की गजल 'बा खुदा अब तो मुझे कोई तमन्ना ही नहीं, फिर क्या बात है यह दिल कहीं लगता ही नहीं' पेश की।

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इसके बाद उन्होंने फिराक गोरखपुरी की गजल 'शामे फिराक अब न पूछ, आइए और आके चले जाइए', 'गर्मीए हसरते नाकाम से जल जाते हैं' और सूफी कलाम 'छाप तिलक सब छीनी मोसे नैना मिलाय के', 'दमादम मस्त कलंदर' पेशकर लोगों का दिल जीत लिया।


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