रहस्य से भरा है शिवनाम का योगिनी तालाब
बाराबंकी : त्रिवेदीगंज विकास खंड क्षेत्र का योगिनी तालाब रहस्यों से भरा है। इस तालाब के बारे में रहस
बाराबंकी : त्रिवेदीगंज विकास खंड क्षेत्र का योगिनी तालाब रहस्यों से भरा है। इस तालाब के बारे में रहस्य भरी कहानियां बुजुर्ग सुनाते हैं, जिन्हें सुनकर एक बड़े जल स्त्रोत की खोज की रोचक कहानी का भी पता चलता है।
तालाब का रकबा करीब 64 बीघे का बताया जाता है, इसके अधिकांश हिस्से में कश्यप समाज के लोग ¨सघाड़ा की खेती करते हैं। कुछ लोगों ने तालाब की आंशिक जमीन पर कब्जा भी कर लिया है। तालाब के किनारे बने घाट अब जर्जर हो चुके हैं। तालाब में इस समय जलकुंभी भी है। तालाब के बगल में ऊंचे टीले पर प्राचीन शिव¨लग है। श्रद्धालु पहले इस तालाब में स्नान करने के बाद लोग शिव¨लग पर जलाभिषेक करते थे, मगर तालाब में गंदगी के कारण लोग अब स्नान नहीं करते हैं। मंदिर के पुजारी बेचालाल ने कहना है कि तालाब की सफाई और खोदाई के साथ ही सुंदरीकरण भी कराए जाने की जरूरत है।
तालाब में स्नान करती थीं योगिनियां:कान्ही-त्रिलोकपुर निवासी श्रवण कुमार बाजपेई ने बताया कि उन्होंने अपने बाबा पंडित दीनदयाल बाजपेई से योगिनी तालाब से जुड़ी कहानियां सुनीं थीं। करीब दो सौ साल पहले घने जंगल में तालाब व शिव¨लग था जिसके बारे में कोई नहीं जानता था, एक बार भीषण सूखा पड़ा था तब सारे ताल पोखर सूख गए थे फिर भी शिवनाम के निवासी एक चरवाहे की भैंस रोज जंगल से स्नान करके जाती थी, एक दिन चरवाहे ने उसकी गर्दन में पतीली बांध दी। पतीली में नींचे छेद कर दिया। तालाब में स्नान करके भैंस जब घर की ओर चली तो छेद से पानी टपकता गया। उसी पानी की बूंदों से गीली हुई जमीन को देखते हुए चरवाहा भीषण जंगल में पानी से भरे विशाल तालाब तक पहुंचा तो वहां कई योगिनियां स्नान करने के बाद शिव¨लग की पूजा-अर्चना और नृत्य कर रही थी। चरवाहे के पहुंचने पर योगिनियों ने उसे घेर लिया और आदर से बैठाकर समझाया कि वह इसके बारे में किसी को कोई जानकारी न दे, मगर कुछ दिन बाद उस चरवाहे ने अपने अन्य साथियों से तालाब का राज बता दिया, जिसके बाद उसकी मौत हो गई। तालाब का रहस्य खुलने के बाद लोग तालाब पर पहुंचे और सूखे के समय तालाब का पानी उनके लिए अमृत बन गया। लोगों ने इसे योगिनी तालाब की संज्ञा दी।
पूजित मिलता है शिव¨लग: मंदिर के अंदर रात 12 बजे के बाद कोई नहीं रुकता। योगिनी तालाब में स्नान करने की आवाजें भी वातावरण में गूंजती हैं। सुबह शिव¨लग पूजित मिलता है।