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'शीश तुम्हारे मैं फांसी पर लटकाने निकला हूं'

बाराबंकी : नवसाहित्य सृजन सेवा संस्थान के बैनर तले ग्राम बारा स्थित महराज देवी शिक्षण संस्थान परिसर

By Edited By: Published: Tue, 24 May 2016 12:50 AM (IST)Updated: Tue, 24 May 2016 12:50 AM (IST)

बाराबंकी : नवसाहित्य सृजन सेवा संस्थान के बैनर तले ग्राम बारा स्थित महराज देवी शिक्षण संस्थान परिसर में आयोजित कवि सम्मेलन अधिवक्ता मंशाराम द्विवेदी की अध्यक्षता में संपन्न हुआ।

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मुख्य अतिथि पशु चिकित्साधिकारी डॉ. ओपी ¨सह ने मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। लोक गीतकार संत प्रसाद जिज्ञासु ने मां सरस्वती वंदना प्रस्तुत की। वीर रस के कवि पुनीत पांडे ने देशकाल का वर्णन करते हुए कहा कि 'मैं राष्ट्रवाद की प्रबल चेतना का शंख बजाने निकला हूं, मैं शोषित जनता के दिल की धड़कन गाने निकला हूं। देशद्रोहियों कान खोलकर सुन लो मेरी बात, शीश तुम्हारे मैं फांसी पर लटकाने निकला हूं।' गीतकार अंकुर मिश्र ने कहा-'जो तुम कहो सदा वो जुबानी बनूं, खत्म न हो कभी वो कहानी बनूं', कवि वेदप्रकाश ¨सह ने कहा-'किसी धर्म की करो इबादत दिल में ¨हदुस्तान रहे', ओमप्रकाश जयंत ने कहा-'बौरानि कुकुरिया धर खाइस' पर श्रोता अपने ठहाके न रोक सके।

कवि ओमप्रकाश ¨सह चौहान, श्याम नारयण विटप, कृष्ण कुमार पांडे आदि ने अपनी समसामयिक रचना सुनाकर श्रोताओं को सराबोर कर दिया। संचालन ओपी ¨सह चौहान ने किया। आगंतुक अतिथियों के प्रति आयोजक सेवानिवृत्त उप बेसिक शिक्षा अधिकारी ओमप्रकाश जयंत ने आभार प्रकट किया।


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