..इनसे सीखिए बिजली-पानी बचाने का हुनर
बाराबंकी: एक ओर जहां बिजली और पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है वहीं महेंद्र ¨सह व अनिल वर्मा ऊर्जा और
बाराबंकी: एक ओर जहां बिजली और पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है वहीं महेंद्र ¨सह व अनिल वर्मा ऊर्जा और जल संरक्षण के संवाहक बने हुए हैं।
नगर के ओबरी में स्थित सैनिक पब्लिक इंटर कॉलेज के प्रबंधक महेंद्र ¨सह ने विद्यालय के साथ ही अपने पेट्रोल पंप पर भी सौर्य ऊर्जा संयत्र लगा रखा है। विद्यालय में 16 हजार 500 वाट बिजली बनाने का सयंत्र लगा है, जिससे 100 पंखे, दो एसी, 25 कंम्प्यूटर, ईलर्निंग क्लास, समरसेबिल पंप आदि संचालित होते हैं। पेट्रोल पंप की मशीने भी सौर ऊर्जा से चलती हैं। विद्यालय व पेट्रोल पंप पर जनरेटर नहीं चलाना पड़ता। रात में भी बिजली रहे या न रहे काम कभी बाधित नहीं होता। महेंद्र ¨सह की सौर ऊर्जा के प्रति लगन के कारण विद्यालय की प्रधानाचार्या चंद्र प्रभा शर्मा व बच्चों ने उन्हें सोलर मैन की संज्ञा दी।
बंकी ब्लॉक के ग्राम मलूकपुर गदिया निवासी किसान अनिल वर्मा के खेतों में पानी का कोई संकट नहीं हैं। केला, टमाटर, तरबूज, खरबूजा व खीरा की खेती अनिल वर्मा टपक ¨सचाई विधि से करते हैं, जिसमें सामान्य ¨सचाई के सापेक्ष 80 फीसदी पानी की बचत होती है। पानी तो बचता ही है फसल भी खूब पैदा होती है।
अनिल वर्मा के खेत में सहारा विधि से लगे टमाटर के पौधे छह फिट से ज्यादा ऊंचे हैं। खरबूजा, व तरबूज के पौधे सामान्य ¨सचाई में अधिक पानी लगने के कारण अक्सर खराब हो जाते हैं मगर टपक ¨सचाई विधि से पौधों को उनकी जरूरत के मुताबिक पानी मिलता है। इससे पानी की बर्बादी भी नहीं होती है और ¨सचाई पर लागत भी मात्र 20 फीसदी आती है। अनिल वर्मा का कहना है कि टपक ¨सचाई के कारण बेहतर और गुणवत्ता परक उत्पादन हो रहा है। एक एकड़ खरबूजा की फसल तैयार करने में 50 से 60 हजार रुपये खर्च होता है और मुनाफा दो से ढाई लाख तक होता है।