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अतिक्रमण के मर्ज का इलाज नहीं ढूंढ़ पा रहा प्रशासन

बाराबंकी: अतिक्रमणरूपी मर्ज का इलाज प्रशासन नहीं ढूंढ़ पा रहा है। शहर में सड़कों पर अतिक्रमण से आवागम

By Edited By: Published: Wed, 02 Sep 2015 12:09 AM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2015 12:09 AM (IST)

बाराबंकी: अतिक्रमणरूपी मर्ज का इलाज प्रशासन नहीं ढूंढ़ पा रहा है। शहर में सड़कों पर अतिक्रमण से आवागमन मुश्किल हो गया है। अतिक्रमण हटाने के चलाए गए अभियानों का न कोई असर हुआ और न ही किसी की अपील का। व्यापारी नेताओं ने भी अतिक्रमण स्वत: हटाने की घोषणाएं तो कीं मगर उनके दावे भी हवाई ही निकले।

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शहर में कोई भी सड़क अतिक्रमण से अछूती नहीं है। सतरिख नाका से दशहराबाग, पंचमदास कुटी तक की सड़क को ही ले लें। यहां नाका से लेकर रामचबूतरा तक जबरदस्त जाम लगता है। नाके पर बीच में पार्क बना है और दो तरफ से रास्ता है। इन दोनों ही रास्तों के किनारे दुकानदार काबिज हैं। ठेले पर फल व चाट बेचने वाले पटरी पर कब्जा जमाए हैं। आटो वाले भी पार्क के बगल में ही लाइन लगाकर खड़े हो जाते हैं। इससे और भी रास्ता जाम हो जाता है। कृष्णानगर जाने वाले रास्ते के मोड़ पर रोडवेज बसें आकर रुकती हैं। इसके अलावा निजी टेंपो, टैक्सी भी यहां सवारियां भरने के लिए खड़े हो जाते हैं। हालात यह बनते हैं कि एक बार जाम लगा तो घंटों फुर्सत हो जाती है। सतरिख जाने वाले टेंपो असदनगर मोड़ पर सड़क तक खड़े हो जाते हैं। इसके आगे लोगों ने अपने मकान व दुकान एकदम सड़क तक बना रखे हैं जहां पटरी बिल्कुल है ही नहीं। राम चबूतरा के आगे सड़क के नीचे पटरी दो फिट गहरी है। ए से में सड़क से अक्सर लोग लुढ़ककर नीचे जा गिरते हैं। पटेलनगर जाने वाले मोड़ के आगे फिर टैक्सी स्टैंड है। इससे अक्सर सतरिख नाका से दशहराबाग तक जाम लगा रहता है।

दुकानों के सामने लगाई जाएगी रे¨लग: नगर पालिका परिषद के चेयरमैन रंजीत बहादुर श्रीवास्तव का कहना है कि पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों का सहयोग नगर पालिका को अपेक्षाकृत नहीं मिल रहा है। इसलिए अतिक्रमण की समस्या का स्थाई निदान नहीं हो पा रहा है। नगर पालिका ने इसके स्थाई निदान के लिए दुकानों के सामने लोहे की रे¨लगें लगाकर उनकी हद निर्धारित करने का निर्णय लिया है। इस कार्य में पैसा तो बहुत खर्च होगा मगर इस समस्या के निदान की दिशा में यह प्रयास मील का पत्थर साबित हो सकता है। इसी उम्मीद से रे¨लग लगाई जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि सड़कों की पटरियों को खाली छोड़ देने से उस पर ज्यादा लोग कब्जा कर लेते हैं। इसलिए सड़कों को चौड़ा करके पटरी न रखने का भी काम हो रहा है।

प्रशासन दिखाए इच्छाशक्ति:

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अतिक्रमण के मामले में नागरिकों का कहना है कि प्रशासन चाहे तो अतिक्रमण से शहर मुक्त हो सकता है मगर प्रशासनिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण लोगों के हौसले बढ़े हैं। अमित जायसवाल ने कहा कि प्रशासन को इस मामले में अपनी इच्छाशक्ति का प्रदर्शन करना चाहिए। अतिक्रमणकारी चाहे जो हो सबके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई होगी तो लोग अपनी हद में रहने को विवश होंगे। मो. दानिश का कहना है कि दुकान से ज्यादा सड़क पर सामान लगाने की परंपरा सी हो गई है। इस पर अंकुश लगाने की जरूरत है। दुकानदारों को खुद भी समझना चाहिए कि अतिक्रमण उनके लिए भी घातक है।


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