बरसात ने किसानों की मेहनत पर फेरा पानी
बाराबंकी: बेमौसम बरसात ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। आलू, सरसो, चना, मटर व मसूर के साथ ही
बाराबंकी: बेमौसम बरसात ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। आलू, सरसो, चना, मटर व मसूर के साथ ही गेहूं की फसल को भी नुकसान हुआ है। आलू की साठ फीसदी से ज्यादा फसल खेतों में अभी भी खुदने के लिए तैयार पड़ी है। धीरे-धीरे हो रही बरसात का पानी आलू के खेतों में सोख रहा है। इससे आलू के सड़ने की संभावनाएं प्रबल हो गई हैं। पानी और अधिक बरसा तो आलू की फसल को बचा पाना किसानों के लिए मश्किल होगा।
जिले में करीब 16 हजार हेक्टेयर में आलू की खेती होती है। मौजूदा समय खेतों में तैयार आलू की फसल को खोदने के काम चल रहा था। शनिवार की रात से पानी बरसने से आलू खुदाई का काम ठप हो गया है। रविवार को भी दिन भर रुक-रुक कर बरसात होती रही। धीरे-धीरे हो रही बरसात का पानी सड़कों के गड्ढो में तो भरा हुआ है मगर खेतों में पानी अभी सोख रहा है। मौसम विभाग ने 2 मार्च को भी बरसात होने की घोषणा की है, ऐसे में यदि पानी ज्यादा बरस गया तो आलू के खेतों में पानी भरने से अगले चार-छह दिन आलू की खुदाई ठप रहेगी और पानी के कारण आलू खेत में सड़ने लगेगा।
प्रगतिशील किसान राम सरन वर्मा का कहना है कि प्रति कुंतल आलू पर करीब पांच सौ रुपए की लागत आती है, मगर बाजार में आलू का भाव वैसे भी तीन-चार रुपए प्रतिकुंतल से ज्यादा किसानों को नहीं मिल रहा। बरसात होने से आलू खराब हुआ तो किसान तबाह हो जाएंगे। उपभोक्ताओं को भी सस्ता आलू खाने को नहीं मिलेगा। क्यों कि अभी साठ फीसदी से ज्यादा आलू की फसल खेतों में लगी है।
आलू के साथ ही सरसो की फसल भी खेतों में तैयार लगी है। जिसे किसान सहेजने में जुटे थे, बरसात के कारण सरसो की फसल भी खराब होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। चना, मटर, मसूर आदि की फसलों को भी नुकसान हुआ है। गेहूं की फसल में इस समय बालियां निकल आई हैं। मगर बरसात के साथ तेज हवा के कारण गेहूं की फसल भी खेतों में लोट गई है। खेतों में गिरी गेहूं की फसल की बालियों में दाना कमजोर हो जाएगा। इससे उत्पादन घटेगा।
जिला कृषि अधिकारी राम कुमार यादव का कहना है कि गेहूं की फसल को अभी ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है मगर आलू, चना, मटर व सरसो को नुकसान ज्यादा होगा। आलू की फसल के लिए पानी जहर के समान है।