समितियों के गोदाम खाली, यूरिया खाद के लिए भटक रहे किसान
मसौली (बाराबंकी): कभी किसानों की मित्र कही जाने वाली साधन सहकारी समितियों से किसानों को बड़ी राहत मिल
मसौली (बाराबंकी): कभी किसानों की मित्र कही जाने वाली साधन सहकारी समितियों से किसानों को बड़ी राहत मिलती थी लेकिन उपेक्षा के चलते समितियां मात्र खाद बीज तक ही सीमित रह गई हैं। इस समय रबी की फसल को यूरिया खाद की आवश्यकता है लेकिन इनके गोदाम खाली पड़े हैं। ऐसे में किसान खाद के लिए भटक रहे हैं।
कृषि क्षेत्र में जिले का अग्रणी विकास खंड मसौली में कृषि योग्य करीब 14 हजार हेक्टेअर भूभाग है जिस पर रबी की फसल की बोआई हुई है। वर्तमान में गेहूं-आलू-सरसों आदि फसलों को यूरिया खाद की दरकार है लेकिन यहां की आधा दर्जन साधन सहकारी समितियों और दो सहकारी संघों पर गोदाम खाली हैं। क्षेत्र के किसान साधन सहकारी समिति भयारा, मसौली, बड़ागांव, लक्षवर, प्यारेपुर, सफदरगंज तथा सहकारी संघ बड़ागांव और पल्हरी पर यूरिया खाद के लिए जाते हैं ¨कतु खाद उपलब्ध न होने से बैरंग लौटना पड़ता है।
किसान प्रेम वर्मा मसौली कटरा राजेंद्र शर्मा, रामप्रकाश वर्मा, मूंजापुर के किसान विशेष वर्मा, हौज के चंद्रपाल यादव, बड़ागांव के रामप्रताप वर्मा, लालबहादुर यादव, मसौली भूलीगंज के रामसहारे वर्मा, राजेंद्र प्रसाद, शिवचंदर, भग्गापुरवा के अनिल वर्मा, रमेश वर्मा, नितिन कुमार आदि का कहना है कि कभी किसानों की मित्र कही जाने वाली समितियों पर कृषि से संबंधित तमाम संयंत्र और खाद-बीज समय-समय पर मिलता था लेकिन अब यही समितियां जब किसानों को आवश्यकता के अनुसार संसाधन और खाद-बीज मुहैया नहीं करा पा रही है। पहले डीएपी, एनपीके खाद की किल्लत और अब यूरिया खाद के लिए समितियों के चक्कर लगा रहे हैं लेकिन इनके गोदाम खाली पड़े हैं। किसानों ने अतिशीघ्र समितियों पर खाद उपलब्ध कराए जाने की मांग की है।
प्राइवेट खाद विक्रेताओं की चांदी : साधन सहकारी समितियों और संघों पर यूरिया खाद की किल्लत का प्राइवेट खाद विक्रेता जमकर फायदा उठा रहे हैं। किसान जरूरत के समय मजबूरन प्राइवेट खाद की दुकानों से यूरिया खरीदकर खेतों में डाल रहे हैं। यहां पर दुकानदार मनमाना रेट वसूल रहे हैं।