सिक्ख समुदाय ने एसडीएम से की धांधली की शिकायत
बाराबंकी : चुनाव के बाद कमेटी गठन के रजिस्ट्रेशन की धांधली का आरोप लगाकर सिक्ख समुदाय मंगलवार को एसड
बाराबंकी : चुनाव के बाद कमेटी गठन के रजिस्ट्रेशन की धांधली का आरोप लगाकर सिक्ख समुदाय मंगलवार को एसडीएम से मिला। नौ सूत्री ज्ञापन सौंपा। वहीं दूसरी ओर कमेटी के पदाधिकारियों ने लगाए गए आरोप को निराधार बताया है।
दिए गए ज्ञापन में संरक्षक सरदार रतन ¨सह, सरदार तेजपाल ¨सह, सरदार कल्यान ¨सह ने कहा कि वे सभी सिक्ख धर्म के अनुयायी है। मुहल्ला लाजपतनगर स्थित गुरूद्वारा की देखभाल व प्रबंधन करते हुए पूजा व अर्चना की जा रही है। गुरूद्वारा के प्रबंधन के लिए गुरूद्वारा श्री गुरू ¨सहसभा मोहल्ला लाजपतनगर की स्थापना की गई है। उसके लिए बराबर समाज द्वारा संरक्षकों की नियुक्ति व चुनाव आदि की प्रक्रिया अपनाई गई है। श्री गुरू ¨सह सभा समिति की ओर से स्वर्ण ¨सह अध्यक्ष द्वारा सभा के पंजीयन के लिए रजिस्ट्रार सोसायटी फैजाबाद में रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत पंजीयन के लिए आई। इसमे जो नियमावली प्रस्तुत की गई है। वह गलत व संविधान के विपरीत है। समुदाय ने यह आरोप लगाया कि स्मृति पत्र में केवल अम्बरीक ¨सह का नाम दर्शित किया गया है जबकि संरक्षक के रूप में अम्बरीक ¨सह के अलावा सरदार रतन ¨सह, सरदार तेजपाल ¨सह भी संरक्षक नियुक्त किए गए थे। इस प्रकार जब तक उनदोनों संरक्षकों को न जोड़ा जाए पंजीयन नहीं हो सकता। यह भी कहा कि उक्त सभा में समाज द्वारा बनाए गए सदस्यों जो कि सिक्ख समाज से संबधित होंगे वोटर बनाए जाएंगे उनके द्वारा ही निर्वाचित किया जाएगा यहां पर यह भी आवश्यक है कि आजीवन सदस्य बनाने तथा उनके द्वारा संरक्षक, अध्यक्ष, प्रधान उपाध्यक्ष, सचिव आदि का प्राविधान नहीं है। उप निर्वाचन केवल दो वर्ष के लिए ही हुआ है। और दो वर्ष पश्चात पुन: चुनाव कराए जाएंगे। ऐसे स्थिति में उक्त प्रबंध कार्यकारिणी का कार्यकाल पांच वर्ष नहीं हो सकता है। व्यापारी नेता सरदार चरनजीत ¨सह ने कमेटी का बर्खास्त करने की मांग की है। ज्ञापन देने वालों में सरदार जसबीर ¨सह, गुरूचरन ¨सह, भूपेंद्र पाल ¨सह, सरदार जितेंद्र ¨सह, र¨वद्रर पाल ¨सह, जसमीत ¨सह, अमरजीत ¨सह, हरजीत ¨सह आदि प्रमुख रहे।
आरोप निराधार : कमेटी के सचिव सरदार गुरूचरन ¨सह, प्रधान स्वण ¨सह ने लगाए जा रहे आरोपों को निराधार बताया है। उनका कहना है कि पुरानी कमेटी के लोगों से पिछले 16 वर्षों का हिसाब मांगा तो मना कर दिया गया। इसी को लेकर आरोप लगाया जा रहा है।