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'मोहब्बत की वादी में उग्रवाद क्यों ¨जदा है'

देवा (बाराबंकी) : देवा मेला के सांस्कृतिक पंडाल में शनिवार को देश के नामी-गिरामी कवियों की काव्य रस

By Edited By: Published: Sun, 19 Oct 2014 12:28 AM (IST)Updated: Sun, 19 Oct 2014 12:28 AM (IST)
'मोहब्बत की वादी में उग्रवाद क्यों ¨जदा है'

देवा (बाराबंकी) : देवा मेला के सांस्कृतिक पंडाल में शनिवार को देश के नामी-गिरामी कवियों की काव्य रस धार बही। विभिन्न विधाओं के कवियों के काव्य का श्रोता देररात तक आनंद लेते रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ कृषि रजच्यमंत्री राजीव कुमार ¨सह ने दीप ज्ज्च्च्वलित कर किया। इस अवसर पर ग्राम्य विकास मंत्री अर¨वद कुमार ¨सह गोप, जिलाध्यक्ष डॉ. कुलदीप ¨सह, सदर विधायक सुरेश यादव, बिन्नू जायसवाल मौजूद रहे। कवि सम्मेलन का शुभारंभ मेरठ की कवियत्री अनामिका अंबर द्वारा प्रस्तुत वाणी वंदना लेखनी 'जो भी कहे वह ¨जदगी का सार हो, शब्द सुर का ज्ञान हो और नेह का विस्तार हो' से हुआ। हास्य के सशक्त हस्ताक्षर अरुण जेमनी हरियाणवी ने अपनी कविता 'आंखों में पानी दादी की कहानी, संतों की वानी कर्ण जैसा दानी, परोपकारी बंदे और अर्थी को कंधे ढूंढ़ते रह जाओगे' से श्रोताओं को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। इसके पश्चात जयपुर राजस्थान के कवि डॉ. संजय झाला ने अपनी रचना 'दीवाली और ईद को कुछ इस तरह मनाएं, राम को सिवइयां और अल्लाह को लड्डू खिलाएं' पढ़ी। डॉ. सुमन दुबे ने अपने गीत 'दर्द दिल में कोई रतन रख लिया, गीत गा-गा के दुनिया का मन रख लिया' पढ़ा जिस पर लोगों ने खूब तालियां बजाईं। इसके बाद अनामिका अंबर ने पढ़ा 'पायल की छनछन से छनके बन कंगन, ओस की बूंदें हैं हम लड़की, मन है इक दर्पण', बरेली के किशन सरोज ने पढ़ा-'कोई अन्याय अनादर हमें फलता ही नहीं, इस कदर सर्द हुआ खून उबलता ही नहीं' हास्य कवि आशुतोष श्रीवास्तव ने अपनी कविता 'जे पावा मुंह करिया करिगा सुनत सुनत आपन जू भरिगा', शिवकुमार व्यास ने पढ़ा-'रूठा झेलम का पानी डल का पानी शर्मिंदा है, अरे मोहब्बत की वादी में उग्रवाद क्यों ¨जदा है', रामकिशोर तिवारी किशोर ने पढ़ा-'तुम स्वयं अपना दीपक जलाओ सखे, सो गई चेतना को जगाओ सखे' पढ़कर वाहवाही लूटी। कवि सम्मेलन में अजय प्रधान, विकास बौखल, शिव किशोर तिवारी खंजन, डॉ. निर्मल दर्शन सीतापुर, अभिराम पाठक, अंबरीश अंबर आदि ने भी अपनी कविताओं का पाठ किया। कार्यक्रम का संचालन रामकिशोर तिवारी किशोर ने किया। देर रात तक चले कवि सम्मेलन में श्रोताओं की भारी भीड़ मौजूद रही।


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