स्टाफ की कमी से बीमार पशुपालन विभाग
जागरण संवाददाता, बांदा : पशुपालन विभाग में स्टाफ की खासी कमी है। ऐसे में योजनाओं के क्रियान्वयन में
जागरण संवाददाता, बांदा : पशुपालन विभाग में स्टाफ की खासी कमी है। ऐसे में योजनाओं के क्रियान्वयन में कठिनाइयां आ रही हैं। हालांकि इसके लिए शासन को रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। लेकिन अभी तक खाली पदों पर तैनाती नहीं हो सकी है। जबकि मवेशियों का उपचार एवं अन्य संबंधित योजनाओं का संचालन काफी चुनौती पूर्ण है और मैनपावर की कमी के चलते यह और भी कठिन हो जाता है।
चित्रकूट धाम मंडल के चारो जनपद स्टाफ कमी से जूझ रहे हैं। मंडल में पशुपालन विभाग के अंतर्गत पशुधन प्रसार अधिकारी, चीफ फार्मासिस्ट, वेटरनरी फार्मासिस्ट, चतुर्थ श्रेणी एवं स्वीपर को मिलाकर 328 पद सृजित हैँ। मौजूदा समय 156 की तैनाती है। और 172 पद रिक्त चल रहे हैं। ऐसे में विभागीय कार्य प्रभावित होते हैं। जब कि मवेशियों का इलाज व टीकाकरण जैसे कार्यों को पर्याप्त स्टाफ के बिना पूरा करना काफी कठिन माना जा रहा है। खुद विभागीय अधिकारी इस बात को स्वीकार करते हैं कि मैनपावर की कमी से कार्यों के प्रभावी कियान्वयन में कहीं न कहीं समस्या जरूर आती है। स्टाफ की कमी पिछले काफी समय से चल रही है। जनपदवार आंकड़ों को देखें तो बांदा में 44, महोबा में 36, चित्रकूट में 54 एवं हमीरपुर में 36 पद खाली हैं। मौजूदा समय गलाघोंटू जैसी बीमारियों के टीकाकरण का कार्य चल रहा है। विभागीय अधिकारी व कर्मचारी द्वारा गांव गांव जाकर लक्ष्य को पूरा किया जाना है। बताते हैं कि पर्याप्त स्टाप न होने से सबसे ज्यादा कठिनाइयां ऐसे ही कार्यों में आती हैं।
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एक दर्जन चिकित्सालयों में सिर्फ डॉक्टरों की तैनाती
चित्रकूट धाम मंडल में पशुपालन विभाग के लगभग एक दर्जन ऐसे पशु चिकित्सालय हैं जहां पर पशु चिकित्सकों भर की तैनाती है। बांदा में बक्छाकुरौली, फतेहगंज, हमीरपुर में अमिलिया व करइहा के अस्पताल में सिर्फ चिकित्सक भर की तैनाती है। इसी तरह महोबा जनपद के खन्ना अमिलियाडांग, रतौली, ऐंचाना, बुधवारा, चौका व चित्रकूट जनपद में लमियारी व सरधुआ के अस्पताल सिर्फ डॉक्टरों के सहारे चल रहे हैं।
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- पशुपालन विभाग में सृजित पदों के सापेक्ष लगभग आधे से ज्यादा पद रिक्त चल रहे हैं जिससे विभागीय कार्यों में असर पड़ता है। रिक्त पदों में तैनाती के लिए शासन को रिपोर्ट भेजी गई है। ताकि योजनाओं का क्रियान्वयन और बेहतर ढंग से किया जा सके - एके ¨सह, अपर निदेशक पशुपालन